सियासत के बीच आदिवासियों की आवाज गुम थी। ‘पत्रिका’ के अभियान से जुड़ते सोमारु राम, आयतुराम, सुखबति बाई व मंगते बाई कहती हैं कि शासकीय योजनाएं नसीब नहीं हो पा रही। नेताओं की सक्रियता सिर्फ चुनाव में ही नजर आती है।
रायपुरPublished: Nov 06, 2018 05:11:25 pm
Deepak Sahu
किसान खेत तो मजदूर रोजी-रोटी की व्यवस्था में जुट हुए थे।
छत्तीसगढ़ का नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र, जहां सियासत में गुम हुई आदिवासियों की आवाज
रायपुर. कोंडागांव के बाद जनादेश यात्रा नारायणपुर विधानसभा का सफर तय करने के लिए निकल पड़ी। किसान खेत तो मजदूर रोजी-रोटी की व्यवस्था में जुट हुए थे। इधर सियासी तामझाम के बीच प्रत्याशियों के प्रचार वाहन तेजी से क्षेत्र का दौरा करते नजर आए। इस क्षेत्र में कुछ सड़कें दिखी तो कहीं सडक़ें ही नजर नहीं आई। माओवाद की समस्या से जुझ रहे नारायणपुर लोगों से बात करने के दौरान मानों समस्याओं और मुद्दों की बाड़ सी आ गई।
सियासत के बीच आदिवासियों की आवाज गुम थी। ‘पत्रिका’ के अभियान से जुड़ते सोमारु राम, आयतुराम, सुखबति बाई व मंगते बाई कहती हैं कि शासकीय योजनाएं नसीब नहीं हो पा रही। नेताओं की सक्रियता सिर्फ चुनाव में ही नजर आती है।