scriptराफेल बनाम राम मंदिर – जनाधार का फार्मूला क्या? | Patrika News

राफेल बनाम राम मंदिर – जनाधार का फार्मूला क्या?

locationरायपुरPublished: Nov 17, 2018 11:49:42 am

कांग्रेस देश की रक्षा से जुड़े मुद्दे को लेकर जनता का विश्वास हासिल करना चाहती है और भाजपा देश की भावना से जुड़े मुद्दे को पुनर्जीवित कर सत्ता पर बने रहना।

Rafale vs Ram temple

afale vs Ram temple – What’s formula to win

योगेश मिश्रा @ रायपुर. विधानसभा चुनाव आम तौर पर स्थानीय मुद्दों पर लड़े जाते हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस इस परिपाटी को बदलने के लिए प्रतिबद्ध प्रतीत हो रहे हैं। आम जनमानस से जुड़े मुद्दों को दरकिनार कर दोनों ही दल राफेल और राम मंदिर के नाम पर अपना जनाधार मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं। पांच राज्यों में चुनाव होना है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस की रणनीति छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में केन्द्रित दिखती है। ज़ाहिर है, मिजोरम और तेलंगाना में दोनों दल इन तीन राज्यों के लिए बनी रणनीति का विस्तृत भाग प्रयोग में लाएंगे। दरअसल पूरी कवायद जनता को आगामी लोकसभा चुनाव के पूर्व टटोलने की है। कांग्रेस देश की रक्षा से जुड़े मुद्दे को लेकर जनता का विश्वास हासिल करना चाहती है और भाजपा देश की भावना से जुड़े मुद्दे को पुनर्जीवित कर सत्ता पर बने रहना।

अगस्त 2018 में जब पहली बार राहुल गाँधी ने राफेल जेट सौदे पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा तो भाजपा का माथा ठनका। पार्टी के थिंक टैंक (विचारक मंडल) ने कांग्रेस अध्यक्ष की टिपण्णी के पीछे का मकसद तुरंत भांप लिया। वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के ठीक बारह महीने पहले राफेल सौदे को बोफोर्स घोटाले की तर्ज पर महाघोटाला साबित करने की पृष्ठभूमि तैयार हो रही थी।

राहुल के आरोपों को नकारने भाजपा संगठन से लेकर एनडीए सरकार के केन्द्रीय मंत्रियों ने देशहित के लिए किए गए फ़्रांस सरकार से महत्वपूर्ण रक्षा सौदे को पारदर्शी सिद्ध करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। राहुल ने भाजपा और उसके सहयोगी दलों के जवाबी हमलों को मोदी की कमजोरी माना और अपनी पहली जीत। उन्हें आगामी आम चुनाव का मुद्दा मिल गया था।

हालाँकि राहुल को ज़रा भी आभास नहीं था कि उनकी पटकथा लिखने के काफी पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश की जनता से सीधे भावनात्मक संवाद करने का निर्णय ले लिया था – मुद्दा था अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण। मार्च 2018 में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मध्य प्रदेश के छत्तरपुर में राम मंदिर बनाने के संकल्प को पूरा करने की बात कही। भागवत के बयान के बाद भाजपा के नेता मुखर होकर राम मंदिर बनाने की बात करने लगे। भाजपा ने वर्ष 2013 में विकास को मुद्दा बनाया, राम मंदिर को हाशिए पर रखा। लेकिन वर्ष 2019 में पार्टी राम के नाम पर ही जीत का सेहरा पहनना चाहती है।

शुरुआत हो चुकी है। संत समाज ने भी राम मंदिर के पक्ष में हुंकार भर दी है। कांग्रेस इस मुद्दे पर संभलकर प्रतिक्रिया दे रही है क्योंकि वह जनभावनाओं को आहत कर अपना जनाधार संकुचित करने का जोखिम नहीं उठा सकती। राहुल राफेल के साथ साथ छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में गुजरात फार्मूला अपनाकर मंदिर की राजनीति भी कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी देवी-देवताओं के दर्शन में कोई कमी नहीं कर रहे। पांचो राज्यों में 12 नवम्बर से 7 दिसंबर के मध्य चुनाव होगा और 11 दिसंबर को एक साथ मतगणना। सात अक्टूबर को निर्वाचन आयोग ने पांचो राज्यों में चुनाव की तिथियों की घोषणा की थी। तब से अभी तक राफेल के नाम पर जो माहौल बना उसके जवाब में राम मंदिर का मुद्दा किसका समीकरण बिगाड़ेगी और किसे बनाएगी इसका दोनों ही दल गौर से आंकलन करेंगे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो