अपने गांव की महिलाओं और सहेलियों से घिरी शोभारानी चेहरे पर बिखरी मुस्कान से जाहिर हो रहा था कि उसने कोई बड़़ा काम किया है।
मतदान को लेकर ऐसा जज्बा 10 किमी नंगे पांव पथरीले रास्तों से होकर पहुंचे पोलिंग बूथ
रायपुर. अपने गांव की महिलाओं और सहेलियों से घिरी शोभारानी चेहरे पर बिखरी मुस्कान से जाहिर हो रहा था कि उसने कोई बड़़ा काम किया है। पूछने पर उसने उंगली पर लगे निशान को दिखाते हुए बताया कि उसने पहली दफा अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। वह जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र के कंकालीगुर गांव की रहने वाली है। गांव के ही बूथ पर उसने वोट दिया है। जगदलपुर से लौटकर दिनेश यदु की खास रिपोर्ट।
माओवादी धमकी के बावजूद इस गांव में मतदान करने के लिए उत्साह छलक रहा था। इस बूथ पर वोटिंग करने लगभग 10 किलोमीटर दूर बाडरीमऊ और सीतापुरी गांव के लोग भी पथरीले और पहाड़ी रास्तों का सफर तय कर नंगे पांव चलकर आए थे। यह क्षेत्र माओवादियों के गढ़ दरभा डिवीजन का हिस्सा है।
12 नवम्बर की सुबह 5 बजे जब हमारी टीम कड़ाके की ठंड में शहर से निकली तो परपा थाने के चेकपोस्ट पर कुछ पुलिस कर्मी अलाव सेंकते नजर आए। आगे नेतानार में जवान पोलिंग बूथ में सुरक्षा व्यवस्था में तैनात थे। कांगेर वैली नेशनल पार्क के निकट दरबा में परदेशीराम, राजूराम और महादेव से मुलाकात हुई। चुनावी माहौल की बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनके खेतों में सिंचाई की बड़ी समस्या है।
चरणपादुका नहीं थी पहाड़ियों के रपटीले रास्तों से दूरदराज के गांवों से बूथ तक पहुंची अधिकांश आदिवासी महिलाएं व पुरुष नंगे पांव नजर आईं। उनके पांवों में चरणपादुका नहीं थी। माओवादी धमकी की नजरअंदाज कर उम्र के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुकी महिलाएं भी मतदान केंद्र तक लाठी टेकते हुए पहुंची थीं।
संगीनों के साए में पूरा इलाका मतदाताओं और पोलिंग बूथ के सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ और पुलिस के जवान चप्पे-चप्पे पर मौजूद थे। प्रमुख सड़कों के किनारे घने पेड़ों की झुरमुटों में जवान मोर्चा संभाले चौकन्ने नजर आए। सड़क से लगभग १०० मीटर की दूरी तक जंगल में जवान अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर चौकसी कर रहे थे।