भवन नहीं पंचायत परिसर में लगती है कक्षाएं
ठेमा से निकलते ही हमारा सफर पहाड़ी के छोर पर बसे व विधानसभा के अंतिम ग्राम पंचायत रावस के लिए शुरू हुआ। हाल ही में यहां 8 करोड़ से पुल और सडक़ बनने से पहाड़ी पर बसे आदिवासियों की जिंदगी को आसान किया है, लेकिन स्वास्थ्य और यातायत जैसी सुविधाएं आज भी नदारद है। पंचायत भवन मे पदाधिकारियों से मिलने पहुंचे तो यहां हाई स्कूल दो कमरों में संचालित किया जा रहा था। शिक्षक कीर्ति देवांगन, शरद मंडावी ने बताया कि भवन नहीं होने के कारण स्कूल खुलने के तीन साल बाद भी पंचायत परिसर मेेंं कक्षाएं लग रही है।
मलेरिया का दंश, स्वास्थ्य सुविधा चौपट
रावस पंचायत की दशरी बाई, देवकी, परमिला अर्जुन यादव, बलदेव, गोपीचंद यादव, गोवर्धन कहा कहना है कि गांव में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है। अधिकांश लोग यहां मलेरिया से पीडि़त हैं। राशन के लिए भी 20 किमी की दूरी तय करना पड़ता है। यातायत की सुविधा पहाड़ी क्षेत्र में नहीं होने की वजह गांव से बाहर जाने के लिए सोचना पड़ता है। बीमार होने पर आज भी चार पाई के सहारे कांधे पर पीडि़त को लंबी दूरी तय कर अस्पताल ले जाते हैं। जनप्रतिनिधियों से बात करने पर वे दूरी बनाते हैं। मुख्य सडक़ पहाड़ी तक पहुंचाकर सरकार से अच्छा काम तो किया लेकिन गांव के अंदर की स्थिति काफी खराब है। ग्रामीणों ने बताया कि संचार क्रांति के साथ ही सरकार की कई योजनाओं का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है।
अब तक जोह रहा विकास की बाट
पहाड़ी के उपर कच्ची पगडंडियों के चढ़ाई कर जब हम पर्रेदोड़ा पहुंचते हैं। यहां चोटी पर 15 से बीस घर बसे दिखे। किसानी काम से लौटे कयाराम नेताम, रामबती, रायसिंह, देवचंद, मनराखन बताते हैं कि पहाड़ी पर बसे होने के कारण 5 किमी दूरी तय कर नीचे उतरना पड़ता है। विधायक प्रतिनिधि के आज तक हमने दर्शन नहीं किए। पानी नहीं गिरने से फसल पूरी तरह चौपट हैं। फसल बीमा का लाभ नहीं मिला है। पीने के पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। नेटवर्क नहीं है, मनरेगा से रोजगार नहीं मिला। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में बस वन संग्रहण से ही जीवन कट रहा।