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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा ने कहा- सीएम चुनने का हक विधायक दल को है, हमारे पास नेताओं की कमी नहीं

locationरायपुरPublished: Nov 18, 2018 03:55:56 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

पिछले दिनों अपने बिलासपुर दौरे के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा ने कहा राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा देना अलोकतांत्रिक है

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा ने कहा- सीएम चुनने का हक विधायक दल को है, हमारे पास नेताओं की कमी नहीं

बरुण सखाजी@बिलासपुर. पिछले दिनों अपने बिलासपुर दौरे के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा ने कहा राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा देना अलोकतांत्रिक है। सीएम चुनने का हक विधायक दल का है। वही चुनेगा। हमारे यहां नेताओं की कमी नहीं। सीएम का चेहरा न देना यह बताता है कि हमारे यहां योग्य और सक्षम नेताओं की कमी नहीं।
प्रश्न: छत्तीसगढ़ में फेस नहीं तो क्या ट्राइब से मुख्यमंत्री देंगे या ओबीसी से या फिर जनरल से?
– यह भी विधायक तय करेंगे। इस बारे में अभी कैसे बताया जाए।

प्रश्न: महागठबंधन का चेहरा क्या राहुल ही होंगे?
– हमारा प्रस्ताव है कि महागठबंधन में जो भी पार्टी सर्वाधिक सीटें लाएगी उसका लीडर पीएम बनना चाहिए।
प्रश्न: आप कर्नाटक से आते हैं, जहां जनता ने जिसे तीसरी ताकत बनाया था आपने उसे पहली ताकत बना दिया। यहां भी लोग ऐसे कयास लगा रहे हैं? अगर स्थिति बनी तो करेंगे ऐसा।
– कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में बहुत फर्क है। यहां तीसरा दल माइनर है। उसकी कोई ताकत नहीं। चाणक्य के जमाने से चला आ रहा है। सब कुछ चुनावी राजनीति से नहीं होता, कुछ कूटनीति से भी होता है। कुमार स्वामी कर्नाटक के मजबूत नेता हैं। वे स्वाभाविक रूप से योग्यता रखते हैं। यहां तीसरा दल है ही नहीं। अगर आप कांग्रेस को माइनस कर दो तो फिर कौन अल्टरनेटिव होगा?छत्तीसगढ़ में तो 15 सालों में बंटाढार हो गया। मनरेगा जैसी आर्थिक इंजन वाली योजनाओं के भुगतान महीनों नहीं हो रहे। गरीबों की संख्या बढ़ रही है। क्या 15 सालों में रमन ने यहा किया है?
प्रश्न: आपकी पार्टी मुख्यमंत्री का चेहरा देने से क्यों बचती है?
– मुख्यमंत्री चुनने का हक सिर्फ जनता द्वारा चुने हुए विधायकों को होता है। हम इसी प्रक्रिया में भरोसा करते हैं। ऐसे में जो भी होगा वह विधायक तय करेंगे।
प्रश्न: वक्त बदल रहा है। लोग चेहरा देखते हैं, क्या कांग्रेस जोखिम उठाने की स्थिति में है?
– यह कोई जोखिम नहीं। लोग समझ जाएंगे। हम आंतरिक लोकतंत्र वाली पार्टी हैं। प्रक्रिया ही हमारी प्रैक्टिस है।
प्रश्न: क्या वजह है कि राज्यों में तो आप प्रक्रियावादी बन जाते हैं, केंद्र की बात आती है राहुल गांधी आपके बिना किसी प्रक्रिया के ही पीएम के चेहरा होते हैं, ऐसा क्यों?
– नहीं, आप गलत कह रहे हैं। राहुल अगर पीएम बनना चाहते तो यूपीए-एक में ही बन जाते। या यूपीए-दो में। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। लेकिन अब वे पूरी तरह से तैयार हैं। नए आइडिया और पूरी क्षमता के साथ वे बढ़ रहे हैं। उनका अपना एक विजन है। देश को लेकर वे सोचते हैं। कुछ करना चाहते हैं।…
प्रश्न: यह तो स्वाभाविक है, कांग्रेस क्या महागठबंधन के भीतर भी लार्जेस्ट नहीं हो पाएगी?
– यह नो..नो.. मेरा मतलब यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि कौन नेता होगा। महागठबंधन की पार्टियां बात कर लेंगी। 2019 से पहले सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी।
प्रश्न: महागठबंधन का क्या होगा, मायावती तो जोगी के साथ चली गई?
– हमारा अभी समय बहुत है। 2019 से पहले सबकुछ हो जाएगा। हमें कोई जल्दबाजी नहीं।

प्रश्न: तो क्या कांग्रेस में सिर्फ राहुल ही हैं जो ऐसे हैं। क्यों नहीं पीएम पद के उम्मीदवार वीरप्पा मोइली बन सकते, 50 सालों का अनुभव है। सीएम से लेकर केंद्रीय मंत्री तक और संगठन के कई पदों पर आप?
– राहुल जी की पैन इंडिया स्वीकार्यता है। हमारे अन्य सहयोगी भी साथ में हैं। वे बहुत परिपक्व और मजबूत नेता के रूप में उभर रहे हैं। एक युवा जो भारत के लिए सपने देख रहा है।
(प्रश्न को इग्नोर करते हुए)
प्रश्न: पिछले कुछ सालों में देखा गया है जहां भी कांग्रेस-भाजपा की सीधी फाइट है वहां कांग्रेस हारी है, छत्तीसगढ़, एमपी और राजस्थान भी दो-दलीय चुनावी मैदान हैं, क्या लगता है?
– नहीं, ऐसा नहीं होगा। राजनीति में मिथक कोई स्थाई नहीं होते। राजस्थान में कांग्रेस निश्चित रूप से आ रही है। वहां का इतिहास कहता है। रोटेशन पर सत्ता हस्तांतरण होता है। सत्ता विरोधी लहर है। एमपी और छत्तीसगढ़ में डेफिनिटली हम जीत रहे हैं। छत्तीसगढ़ में तो 15 सालों में बंटाढार हो गया। मनरेगा जैसी आर्थिक इंजन वाली योजनाओं के भुगतान महीनों नहीं हो रहे। गरीबों की संख्या बढ़ रही है। क्या 15 सालों में रमन ने यहा किया है?
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