जांजगीर-चांपा विधानसभा का राजनीतिक इतिहास देखे तो आजादी के बाद कांग्रेस केवल चार बार चुनाव हारी है। एेसे में भाजपा ने यहां मोदी को बुलाकर बढ़ा दावं खेल दिया है।
जांजगीर-चांपा जिले में बहुजन समाज पार्टी की भी अच्छी पकड़ है और हाल ही में बसपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के बीच गठबंधन हुआ है। इस गठबंधन के प्रभाव को कम करने के लिए मोदी का दौरा भाजपा के लिए संजीवनी का काम करेगा। शायद यही वजह है कि जांजगीर-चांपा में कदम रखने के मोदी ने जय जौहार और जय सतनाम के संबोधन के साथ अपने भाषण की शुरुआत की।
राजनीतिक पंडित इस संबोधन की जीत की अहम सीढ़ी मान रहे हैं। परिसीमन के बाद यहां की सीट पर असर जरूर पड़ा है। अभी तक की स्थिति में मिशन- 65 का लक्ष्य हासिल करने में जांजगीर-चांपा जिले की सीट महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यही वजह है कि भाजपा इस जिले की सभी सीटों पर विशेष फोकस कर रही है। माना जा रहा है कि भाजपा कुछ नए चेहरों पर भी दावं खेल सकती है।
पांच चुनाव में यह रही स्थिति
वर्ष | निर्वाचित प्रत्याशी | प्राप्त मत | निकटतम प्रतिद्वंदी | प्राप्त मत |
1993 | चरणदास महंत | 44220 | बलिहार सिंह | 28757 |
1998 | नारायण प्रसाद चंदेल | 35083 | मोतीलाल देवांगन | 28404 |
2003 | मोतीलाल देवांगन | 52075 | नारायण प्रसाद चंदेल | 44365 |
2008 | नारायण प्रसाद चंदेल | 42006 | मोतीलाल देवांगन | 40816 |
2013 | मोतीलाल देवांगन | 54291 | नारायण प्रसाद चंदेल | 44080 |