बेहतर है कि इनके साथ मिलकर इनकी खामियों को दूर करने की कोशिश की जाए। राजनीति के अपने नजरिए होते हैं, हमें बस अपनी अच्छी सोच के साथ काम करना होगा। सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों को दूर करने में राजनीति की अहम भूमिका हो सकती है। चुनाव में नोटा का विकल्प बहुत अच्छा नहीं है। हमें कुछ न कुछ तो विकल्प चुनना ही होगा।
कांग्रेस कार्यकारिणी बनते ही सुलगा असंतोष, सोशल मीडिया पर पूर्व प्रवक्ता ने लिखा भूपेश भाजपा से सेट हैं नोटा से न तो सरकार बन सकती है और न ही देश को चलाया जा सकता है। जहां तक प्रत्याशी की बात है, तो उन्हें जाति और धर्म के मुद्दे को छोड़कर विकास के मुद्दे पर चुनाव लडऩा चाहिए। राजनीतिक दलों को भी चाहिए कि वे क्षेत्र में धर्म विशेष के मतदाताओं की जनसंख्या के आधार पर नही, बल्कि प्रत्याशी की योग्यता के आधार पर टिकट का वितरण करें। यदी पढ़ा-लिखा और समझदार इंसान चुनाव जीतकर आता है, तो वो मौजूदा आधुनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सकता है। आधुनिक संसाधनों का उपयोग मानव, समाज और देश सभी के लिए लाभकारी होगा।
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शिक्षा और स्वास्थ्य पर हो फोकस
आज आम लोगो के लिए अच्छी शिक्षा और सस्ती स्वास्थ्य सुविधा सबसे महत्वपूर्ण है। यदि राजनीति में पढ़े-लिखे और अच्छे लोग आएंगे, तो शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों को प्राथमिकता मिलेगी। इससे न केवल देश आर्थिक प्रगति करेगा, बल्कि एक बेहतर समाज का भी निर्माण होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाओं को सबसे पहली प्राथमिकता में रखना चाहिए।
(डॉ. अनिज जैन इएनटी विशेषज्ञ)