कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम ने एसपीवी के गठन का मुख्य उद्देश्य राज्य में समेकित कृषि व्यवसाय और कृषि आधारित प्रसंस्करण और विनिर्माण औद्योगिक ईकाइयों को बढ़ावा देना था। लेखा परीक्षण में पाया कि एसपीवी, सीजी सोया ने (मई 2015 से अक्टूबर 2016) 232 मैट्रिक टन सोयाबीन छत्तीसगढ़ की बजाय मध्यप्रदेश के व्यापारियों से खरीदा गया। जिससे एसपीवी के गठन का उद्देश्य विफल हुआ।
इसी प्रकार दो अन्य एसपीवी यथा सीजी न्यूट्रीवेट फीड्स और सीजी न्यूट्रेक्यूटिकल ने क्रमश: पशु आहार और बिस्किट निर्माण के लिए कोई उपकरण नहीं लगाया और एसपीवी ने व्यापारियों से क्रम कर सामग्री की आपूर्ति की। पशु आहार पोषक फीड्स रायपुर और बिस्किट सुंदर इण्डस्ट्रीज नागपुर से अनुबंध विनिर्माण के द्वारा खरीदा गया।
कैग ने कहा कि राज्य बीज निगम एसपीवी के संचालक होने के नाते उनकी गतिविधियों पर नजर रखने में विफल रहा है। वर्ष 2013-17 के दौरान सीजी सोया और सीजी न्यूट्रीवेट ने कॉन्सॉर्टियम द्वारा निर्धारित की गई कीमत पर सरकारी विभागों को आगे आपूर्ति करने के लिए सोया दुध और पशु आहार क्रमश: 5.74 करोड़ व 8.62 करोड़ मूल्य की आपूर्ति कंपनी को की।
इस प्रकार एक अन्य एसपीवी यथा सीजी न्यूट्रैक्यूटिकल फूड्स प्राइवेट लिमिटेड ने 2016-17 के दौरान 94.62 लाख मूल्य की बिस्किट प्राथमिक विद्यालय और कोण्डागांव जिला के आंगनबाड़ी केंद्रों को आपूर्ति करने के लिए प्रदान की गई। इसके अलावा स्कूल शिक्षा विभाग ने बस्तर और कवर्धा के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को सप्ताह में एक दिन सोया दूध देने के लिए मुख्यमंत्री अमृत योजना नामक एक नई योजना की घोषणा की।
कंपनी ने 6.28 करोड़ की कुल वार्षिक लागत पर 52.50 रुपए प्रति लीटर की दर से 1.20 लाख लीटर फ्लेवर्ड सोया दूध की मासिक आपूर्ति के लिए सीजी सोया का आदेश जारी किया। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कंपनी ने बिना कोई निविदा आमंत्रित किए या बिना दर अनुबंध को अंतिम रूप दिए आपूर्ति आदेश जारी किया, जो कि भण्डार क्रय नियम का उल्लंघन था।
बिना स्कूल के जारी करते रहे छात्रवृत्ति
लेखा परीक्षण की वजह से राज्य सरकार ने 20 शासकीय और निजी व्यक्तियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। प्रधान महालेखाकर (लेखापरीक्षा) बिजय कुमार मोहंती ने बताया कि प्रदेश में 20 ऐसे स्कूल थे, जो अस्तित्व में नहीं थे, लेकिन वहां से 1.40 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति निकाली गई थी। महालेखाकार की रिपोर्ट के बाद सरकार ने 6 शासकीय स्कूल के प्राचार्यों, 13 निजी स्कूल के प्राचार्यों व संचालकों और जांजगीर-चांपा के आदिम जाति विकास विभाग के सहायक आयुक्त के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है।