रक्तदान की प्रेरणा
यह एक ऐसी युवती के जीवन पर आधारित है जो एक सुई से डरती है। इस वजह से कभी रक्तदान नहीं किया। जब उसके ऑफिस में रक्तदान का आयोजन किया जाता है तो युवती पहली बार डर डर के ब्लड डोनेट करती है। इसके बाद उसे अच्छा लगने लगता और वह हर समय करती। इस नाटक के जरिए बताया कि जीवन में रक्तदान का कितना महत्व है। इसलिए सभी को समय-समय पर रक्तदान करना चाहिए।
रिसेप्शन में भोजन का महत्व
इस नाटक में पार्टी में होने वाले खाने की बर्बादी को गिद्ध भोजन का नाम दिया गया है। एक व्यक्ति किसी अंजान पार्टी में जाता और खाना खाकर चार लोगों का पैक कर घर ले जाने की तैयारी करता, जिस पर दूसरा व्यक्ति तंज कसते हुए कहता है क्या तुम्हे ंशर्म नहीं आती फ्री का खाना खाते हो और घर भी ले जाते हो। इस पर लाचार व्यक्ति बोलता है कि मैंने स्टेज में 100 रुपए दिए और मेरी पत्नी तीन वर्षों से बिस्तर पर है। तुम्हारा खाना तो लास्ट में सड़ जाता और फिर फेक दिया जाता। ऐसे गिद्ध भोजन करने का क्या फायदा।
विसंवाद में आपसी प्रेम की झलक
इस नाट्य में मां-बाप कैसे अकेले जीवन यापन करते हैं उस पर आधारित था। जिसमें दो बेटे विदेश में रहते हैं और मां-बाप अकेले जीवन जीने के लिए एक-दूसरे से हंसी-मजाक करते समय-समय पर लड़ाई करते। जिसमें पत्नी, पति से कहती है कि जब तक मृत्यु नहीं आएगी तब तक जीएंगे।
गोदवारी में धैर्य की सीख
यह नाटक पिता-पुत्री के जीवन पर आधारित था, जिसमें पुत्री सरल, सहज और समझदार है। इसमें बताया गया कि एक पिता कैसे अपनी पुत्री की शादी के लिए परेशान रहता है। जब उसकी बेटी को 40 बार देख कर रिजेक्ट कर दिया गया हो। लेकिन कभी उसकी बेटी या पिता ने गलत कदम नहीं उठाया और धैर्य रखा।
वो लड़का… में स्वच्छता का संदेश
एक स्कूल के समीप बगीचे में एक लड़का दीवार कूद कर जाता है। एक व्यक्ति उसका पीछा करता और सोचता कि ये गार्डन से क्या उठा रहा है। कहीं चोर तो नहीं। जब लड़का गार्डन के पास कचरा पेटी में जेब में भरे कचरे को डालता है तो उस व्यक्ति की सोच बदल जाती है। इस नाटक के जरिए स्वच्छ भारत का संदेश दिया और बताया कि सोच बदलो, भारत बदल जाएगा।