पीड़ितों का कहना है कि बैंकों से फाइनेंस करके न्यू स्वागत विहार में प्लॉट और मकान लिया था। यह प्रोजेक्ट टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से एप्रूव्ड था, जो कि किसी हाउसिंग प्रोजेक्ट को सरकार की ओर से मंजूरी मिलने की वैधानिक गारंटी भी है। सन 2013 में जब आरडीए ने इस प्रोजेक्ट के एक हिस्से पर सरकारी जमीन होने का दावा किया तो पूरा का पूरा लेआउट सरकार के द्वारा निरस्त कर दिया गया, लेकिन आज तक प्रभावितों को अपनी रजिस्टर्ड जमीन पर पूरा स्वामित्व नहीं मिल सका है।
1. सभी हितग्राहियों को अनुमोदित अभिन्यास/मानचित्र में आवंटित भूमि के रजिस्ट्री शुल्क में छूट दी जाए। 2. खरीदारों ने विकास शुल्क का भुगतान बिल्डर को पूर्व में ही कर दिया था। फिर एक बड़ी रकम विकास शुल्क के रूप में लिया जा रहा है।
3. नए लेआउट में स्वागत विहार के निवासियों के लिए खुली जगह जैसे छोटा बगीचा/मंदिर/सामुदायिक भवन नहीं मिलेंगे। हालांकि अलग-अलग जगहों पर विभिन्न माप के लगभग 394 प्लॉट्स जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 12 एकड़ है, खुली जमीन है। इसे एक स्थान पर समायोजित कर गार्डन एवं सामुदायिक भवन के लिए प्रयोजन किया जाए।