लोगों का कहना है कि वे कई सालों से परेशान हैं, सांस एवं अन्य बीमारियों से पीडि़त सदस्यों का घर में रहना अब मुश्किल हो गया है। हैरानी ये कि सोसायटी के लोगों के भारी आक्रोश के बाद आरडीए ने नोटिस कई बार जारी किया, परंतु उस पर अमल नहीं कर सका। आरडीए ने कटोरा तालाब आवासीय योजना के तहत राजधानी के न्यू राजेंद्रनगर में भूखंड बेचा। आरडीए की इसी कॉलोनी के आशियाना रेंसीडेंसी सोसायटी में 50 से ज्यादा परिवार रहते हैं। उन्हीं में से एक व्यक्ति द्वारा अपने मकान की छत को टावर लगाने के लिए किराए में दे रखा है। सोसायटी में जब बसाहट कम थी, तब टू जी रेंज का टावर था, परंतु अब घनी आबादी के बीच इस टावर को अपग्रेड करके कंपनी द्वारा 5जी में तब्दील किया जा चुका है। इससे मुश्किल और बढ़ गई है। सोसायटी के लोगों का कहना है कि जब से टावर अपग्रेड हुआ है तब से स्व. जगजीत ङ्क्षसह चौधरी का परिवार शहर के दूसरे क्षेत्र में शिफ्ट हो गया है। सिर्फ किराया लेने आते हैं। जबकि पूरी सोसायटी के लोग पिछले सात-आठ सालों से परेशानी से घिरे हुए हैं। पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देते हुए आरडीए के अधिकारियों से कई बार फरियाद किए तो संबंधित को नोटिस जारी किया गया, लेकिन आज तक एग्रीमेंट के दस्तावेजों की जांच तक नहीं की गई।
टावर के पास कई बार कबूतर मरे मिले
डॉ. नवीन खूबचंदानी ने बताया कि 5जी टॉवर में पांच बड़ी-बड़ी बैटरी लगाई है। आसपास पंछियों का भी आना कम हो गया है और छत पर कई बार कबूतर मरे हुए दिखे। इस टावर के बाजू में उनका मकान है और पिताजी बीमार रहते हैं। ऐसे में जब उन्होंने ध्वनि की तीव्रता नापा गया तो पता चला कि यह 75 डेसीबल तक है। तेज ध्वनि गूंजते रहने से उन्हें रात में नींद नहीं आती है। घर के लोग छत पर जाने में घबराते हैं।
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5 साल की सजा व 1 लाख तक जुर्माना का प्रावधान
रविवि के पर्यावरणविद् डॉ. शम्स परवेज ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण नियम के अनुसार व्यावसायिक क्षेत्र में 65 डीबी से 55 डीबी तय है। जबकि आवासीय क्षेत्रों में यह दिन और रात 55 से 45 डीबी है। इसका उल्लंघन अपराध है, जिसमें 5 साल तक की सजा और 1 लाख रुपए तक जुर्माना या फिर दोनों सजा होने का प्रावधान है।
आरडीए के सीईओ शम्मी नाहिद ने बताया कि योजना के तहत आवंटित भूखंड की छत पर टावर के रेडिएशन से परेशान लोगों की शिकायत पर विभागीय नोटिस संबंधित व्यक्ति को जारी किया गया है। टावर हटाने के लिए नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ निगम प्रशासन को भी पत्र भेजा जाएगा।