हैरानी की बात यह है कि हाईकोर्ट के आदेश को 11 माह बीतने को है, इसके बावजूद शासन-प्रशासन अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। स्वागत विहार प्रोजेक्ट का नए सिरे से नक्शा और खसरा नंबर को बैठाने का काम भी अधर में अटका हुआ है।
स्वागत विहार मामले की फाइल अफसरों के बीच ही गोल-गोल घूम रही है। जिस तेजी से 223 एकड़ इस प्रोजेक्ट के आठ ले-आउट टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा स्वीकृत किए गए थे। उस तेजी से पीडि़तों को न्याय दिलाने में तत्परता नहीं दिखाई जा रही है। हाईकोर्ट के आदेश के 11 माह बाद भी नए सिरे से नक्शे पर खसरा नंबरों को बैठने और बटांकन की ही प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। तहसील कार्यालय में इस मामले की फाइल ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। इस वजह से पहले के स्वीकृत ले-आउट में संशोधन नहीं हो पाया है।