script#आखिर क्यों यहां के ग्रामीणों ने कर लिया चुनाव बहिष्कार करने का फैसला | Why the villagers decided to boycott the election | Patrika News

#आखिर क्यों यहां के ग्रामीणों ने कर लिया चुनाव बहिष्कार करने का फैसला

locationरायगढ़Published: Nov 12, 2018 08:56:19 pm

Submitted by:

Shiv Singh

सोमवार को अपर कलक्टर के नाम सौंपा

सोमवार को अपर कलक्टर के नाम सौंपा

सोमवार को अपर कलक्टर के नाम सौंपा

रायगढ़. आजादी के इतने सालों बाद जब गांव में पहुंच मार्ग नहीं बन पाया तो अन्य मुलभूत सुविधाओं की बात तो दूर है। इससे आक्रोसित ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार करते हुए विधानसभा चुनाव में मतदान न करने का निर्णय लिया है। ग्रामीणों के उक्त निर्णय को कलमबद्व कर सोमवार को अपर कलक्टर के नाम सौंपा है।
जिला प्रशासन को दिए गए ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया है कि ग्राम पंचायत आमापाली के आश्रीम ग्राम अमलीपाली पुसौर मार्ग में स्थित है यहां स्थायी रूप से पहुंच मार्ग अभी तक नहीं बन पाया है पूर्व में पहुंचमार्ग का निर्माण कार्य अमलीपाली सीमा तकलेकिन वह बारिश में बह गया साथ ही गांव के अंदर तक अभी तक मार्ग का निर्माण नहीं हो पाया है।
इसके कारण इस गांव के लोगों व बच्चों को स्कूल व अन्य जगह जाने के बाद गांव से बाहर निकलने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण पिछले लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि स्थायी रूप से कांक्रीटींग रोड या फिर डामरीकरण रोड गांव के गली तक बनाया जाए ताकि गांव के लोगों को आवागमन करने में समस्या न हो लेकिन इसको लेकर आज पर्यंत तक न तो कोई जनप्रतिनिधि ध्यान दिया न ही प्रशासन इस ओर ध्यान दिया।
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जिसका खामियाजा आज भी इस गांव के रहवासियों को भुगतना पड़ रहा है। विदीत हो कि पूर्व चुनाव के दौरान भी ग्रामीणों ने बहिष्कार करने का निर्णय लिया था। लेकिन उस समय प्रशासन द्वारा आश्वासन देकर मना लिया गया था इस बार ग्रामीण प्रशासन के आश्वासन के झांसे में नहीं आने की बात कर रहे हैं।


घोषणा के बाद सड़क का काम
अमलीपाली सीमा के पहले तक बने सड़क का काम भी कुछ सूय पूर्व विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा करने के बाद प्रशासन ने आनन-फानन में बनवाया है। ग्रामीण चाह रहे हैं कि कम से कम यह सड़क गांव के गली से जुड़ जाए ताकि लोगों को आवागमन में समस्या न हो।


रूक गया है गांव का विकास
पहुंच मार्ग के अभाव में गांव का विकास रूक गया है। ग्रामीणाों की माने तो गांव के अंदर दोपहिया वाहन जैसे-तैसे जाता है ऐसी स्थिति में भारी वाहन के जाने के लिए तो रास्ता ही नीं है। जिसके कारण गांव में अन्य विकास कार्य भी नहीं हो पा रहा है और पूरे ग्रामीण विकास से उपेक्षित हो गए हैं।

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