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चक्रधर समारोह : बजी घुंघरू, लहराए सुर, साथ में गूंजे कव्वाली के नगमे

locationरायगढ़Published: Sep 17, 2018 10:32:40 am

Submitted by:

Shiv Singh

पहला कार्यक्रम दिल्ली से आई नलिनी कमलिनी की कथक का हुआ, इसके बाद नई दिल्ली से आई मंदाकिनी स्वाइन के गायन का कार्यक्रम हुआ।

चक्रधर समारोह : बजी घुंघरू, लहराए सुर, साथ में गूंजे कव्वाली के नगमे

चक्रधर समारोह : बजी घुंघरू, लहराए सुर, साथ में गूंजे कव्वाली के नगमे

रायगढ़. चक्रधर समारोह की चौथी संध्या कथक, गायन और कव्वाली से सजी रही। चौथे दिन यहां चार कार्यक्रमों की प्रस्तुति कलाकारों के द्वारा दी गई। इस कड़ी में पहला कार्यक्रम दिल्ली से आई नलिनी कमलिनी की कथक का हुआ, इसके बाद नई दिल्ली से आई मंदाकिनी स्वाइन के गायन का कार्यक्रम हुआ। वहीं तीसरे में मुंबई से पीयूष एवं प्रीति के कथक नृत्य का कार्यक्रम आयोजित हुआ जबकि चौथा कार्यक्रम सूफियाना रंग में डूबा रहा। इसमें हैदराबाद के वारसी ब्रदर्स की कव्वाली ने समां बांध दिया।
रविवार को चक्रधर समारेाह में नलिनी कमलिनी के कथक नृत्य की शुरुआत गणेश व शिव वंदना से हुई। कथक नृत्य के माध्यम से नलिनी कमलिनी ने विभिन्न भाव व प्रसंगों को जिवंत कर दिया। जिसको लेकर दर्शक दीर्घा से तालियोंंं की गडग़ड़ाहट गूंजती रही। वहीं कथक में जयपुर घराने से आए पियूष एवं प्रीति ने घियान घृणत…. नाचत की प्रस्तुति दी। इस गु्रप ने भी गणेश व शिव वंदना से कथक की शुरुआत की। कार्यक्रम के दौरान कथक कलाकार पियूष एवं प्रीति ने अलग-अलग कई मशहूर विधाओं को कथक में शामिल कर दर्शकों का मन मोहा।
कार्यक्रम के अंत में कव्वाल वारसी ब्र्रदर्स ने कव्वाली की प्रस्तुति दी। कव्वाली को सुनने के लिए दर्शक दीर्धा में देर रात तक लोगों की भीड़ लगी रही। शाम साढ़े सात बजे से शुरू हुई कार्यक्रम देर रात करीब १२ बजे तक चलता रहा।
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मंच में पहुंचते बजी ताली
अंतिम कार्यक्रम कव्वाली की प्रस्तुति करने के लिए कव्वाल वारसी ब्रदर्श जैसे ही मंच पर पहुंचे तालियों की गडग़ड़ाहट सुनने को मिली। कव्वाली शुरू होने के बाद दर्शक दीर्घा में उपस्थित लोगों ने खुब आनंद उठाया। देर रात तक फरमाईश आती रही।

इसे तो दे दिया गया है अनेकों नाम पर होती है सिर्फ सूफियाना कव्वाली
रायगढ़. आजकल कव्वाली को कई नाम दे दिया गया है, जैसे प्रतियोगी कव्वाली, शराबी कव्वाली व अन्य, लेकिन कव्वाली एक ही होती है वो है सूफियाना कव्वाली। सूफी संतों के कलाम को सुनाना ही कव्वाली है। ये बातें हैदराबाद से आए कव्वाल वारसी ब्रदर्स के नजीर वारसी ने कही। प्रेस से चर्चा के दौरान उन्होने बताया कि कव्वाली सूफी संतों के कलाम को सुनाना है इसे पहले काफी कम लोग सुनते थे, लेकिन अमिर खुसरो और हजरत निजामुद्दिन औलिया ने आम लोगों तक पहुंचाने कहा जिसके बाद कद्रदानों की संख्या बढ़ी।

दादा को मिली थी पद्मश्री
वारसी ब्रदर्स के नजीर वारसी ने बताया कि उनके दादा अजीज अहमद खान वारसी पद्मश्री थे इसके बाद अब उनका उनका नाम कुछ समय पूर्व सरकार ने प्रस्तावित किया गया है। अगर हो सके तो काफी जल्द ही पद्मश्री का सम्मान भी मिल जाएगा।

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आज इनकी प्रस्तुति
सोमवार को एक भारत श्रेष्ठ भारत गुजरात का कार्यक्रम है, वहीं अहमदाबाद की सुपर्वा मिश्रा की नृत्य वाटिका, रायपुर से हीरा मानिकपुरी का नाटक और ग्वालियर के हिमांशु द्विवेदी का नाटक है।

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