केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही पीएम आवास योजना के तहत उन गरीब लोगों को वर्ष 2022 तक पक्का मकान दिया जाना है। इस योजना की शुरूआत में उन लोगों का नाम चुना जाना था, जिनका नाम 2011 की गरीबी रेखा सर्वे सूची में है और उनके पास पक्का मकान नहीं है। बरमकेला जनपद पंचायत क्षेत्र के बोरो पंचायत में अन्य के साथ-साथ उन 17 ग्रामीणों ने भी आवेदन जमा किया, जिनको पात्र होने के बाद भी अपात्र कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि चार माह बाद ही सभी हितग्राहियों के आवास को स्वीकृति मिली थी। इसके बाद जब हितग्राही राशि आने की जानकारी लेने जनपद पंचायत पहुंचने लगे तो उन्हें कुछ दिन इंतजार करने की बात कह कर लौटा दिया जाता था। हितग्राहियों का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों ने योजना का लाभ दिलाने के लिए राशि की मांग की, लेकिन जब उन्होंने इंकार किया तो उनका नाम हटाकर अपात्र हितग्राहियों को योजना का लाभ दे दिया गया।
इन हितग्राहियों को नहीं मिला लाभ
ग्राम पंचायत बोरो में रहने वाले अश्विनी, मंत्री, देवराज, कमला, शिव प्रसाद सेठ, संतोष कुमार सेठ, रत्थू पटेल, सेत कुमार निषाद, श्रीधर, मिनकेतन, भरत पटेल, भीम पटेल, सेषकुमार साहू, तेजराम, गर्जन, घासी धोबा, रतिराम शामिल हैं। इन हितग्राहियों की सूची में नाम आ गया था, लेकिन नाम कट जाने से इन्हें लाभ नहीं मिल सका। इनके एवज में बरमकेला जनपद पंचायत क्षेत्र के सकरतुंगा, लोधिया व देवगांव जैसे पंचायत में रहने वाले ग्रामीणों को इसका लाभ मिला।
अधिकारियों ने दोहराई गलती
अब जनपद पंचायत के अधिकारी यह तर्क दे रहे हैं कि बोरो पंचायत के जिन हितग्राहियों के नाम से पीएम आवास योजना स्वीकृत हुआ था। वे हितग्राही बाद के थे, जबकि उनके पहले ही कई हितग्राहियों ने आवेदन किया था। तकनीकी त्रुटिवश बोरो पंचायत के हितग्राहियों का नाम ऊपर लिस्ट में आ गया और आवास स्वीकृत हो गया। इसकी जानकारी मिलने के बाद संबंधित के नाम को हटाकर किया गया। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि पहले अधिकारियों ने गलती करते हुए बोरो पंचायत के हितग्राहियों का नाम ऊपर रखा। वहीं जब आवेदन स्वीकृत हुआ और राशि आने ही वाली थी कि दोबारा गलती करते हुए उनके नाम को हटा दिया गया।