मामला डीह क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एक किलोमीटर की दूरी पर बसा एक गांव पूरे खेउं मजरे रोखा निवासी सूरजपाल 60 वर्ष पुत्र भगौती अपने घर पर बैठा था कि अचानक उसके हांथ पैर में दर्द उठा और बेसुध होकर जमीन पर गिर पड़ा। मरीज के पुत्र रामकुमार ने पड़ोसी शिवसागर से 108 पर फोन करके एम्बुलेंस बुलाने को कहा। पड़ोसी ने 108 पर फोन किया तो पता चला कि डीह और नसीराबाद की एम्बुलेंस खराब पड़ी है और परसदेपुर की एम्बुलेंस से आपकी बात कराते है। परसदेपुर के एम्बुलेंस से बात हुई तो उसने बताया कि हम एक मरीज को लेकर नसीराबाद जा रहे है। एक घंटा लगेगा उसके बाद आएंगे। मरीज के पुत्र रामकुमार घबराया और परिजनों में कोहराम मच गया। लेकिन तब तक पड़ोसी जग्गू, किशुन, नरेश, बाबूलाल, राधेश्याम आ गए और परिजनों का ये हाल देखकर चारपाई से ही मरीज को लेकर एक किलोमीटर दूर सीएचसी पहुंच गए। जहां पर मौजूद सीएचसी प्रभारी डॉ तारिक इकबाल ने बेसुध पड़े सूरजपाल का इलाज किया। जहां अपने मुखिया की हालत में सुधार देख परिजन खुश दिखे।
प्रदेश सरकार गरीबो को जल्दी स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था की है जिसके लिए केंद्र सरकार व राज्य सरकार एम्बुलेंस कंपनियों को अच्छी खासी रकम चुकाती है। परन्तु इस समय डीह व नसीराबाद की एम्बुलेंस स्वयं ही बीमार चल रही है।एक सप्ताह से लोगों को एमरजेंसी में प्राइवेट गाड़ियों के सहारे ही अस्पताल पहुंचना पड रहा है। ज्यादातर एम्बुलेंस में कुछ न कुछ खराब हो रहा है। जब सरकार प्राइवेट कंपनी को मोटी रकम अदा कर रही है तो खराब पड़ी एम्बुलेंस को बदला क्यो नही जा रहा है।
पड़ोसियों ने पेश की गांव की परम्परा
आज की जिंदगी में लोगों को अपने काम से ही फुरसत नही मिलती प्रायः देखा जाता है कि कहीं पर कोई दुर्घटना हो जाये घायल तड़प रहा हो तो लोग रुकते है देखते है और आगे बढ़ जाते है उन्ही में से कोई एक मानवता की मिशाल पेश करने वाले व्यक्ति आगे बढ़कर मदद करते है। आज जब एक पड़ोसी बेसुध होकर जमीन पर गिर गया। परिजनों में कोहराम मच गया। सरकार के द्वारा चलाई गई एम्बुलेंस ने धोखा दे दिया तो पड़ोसियों ने आगे बढ़कर चारपाई से एक किलोमीटर का पैदल सफर करके उस पड़ोसी की जान बचाई। परिजन उन पड़ोसियों के हाँथ जोड़कर बार बार धन्यवाद कर रहे थे।