जिले के शहर और कस्बों में हिन्दू मुस्लिम भाइयों ने विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी कर्बला के बहत्तर शहीदों की याद में विलीन हो कर 10 वीं मोहर्रम का जुलूस बड़े ही गमगीन माहौल में बड़े इमामबाड़े व छोटे इमामबाड़े से सुबह 10 बजे अलम और जुल्जनाः के साथ निकाला और दोनों ईमामबाड़े के जुलूसों का मरहूम वाहिद अली के दरवाजे पर मिलना हुआ। फिर दोनों जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होते हुवे कर्बला तक गये। जुलूस में लोगों ने इमाम हुसैन और उनके साथियों को याद करके नौहाख्वानी और सीना जनी की। जुलूस में डॉक्टर आमिर और हैदर अली ने “अब्बास उठाओ अली अकबर का जनाजा, उठता नही मुझसे मेरे दिलबर का जनाजा यअब्बास कमर टूट गई, गम में तुम्हारे। को सुन कर लोगों की आंखों से आंसुओं का सागर उमड़ आया जिससे माहौल और गमगीन हो गया।
नौहे के बाद अजादारों ने या हुसैन या अलविदा की सदाये बुलंद की। कर्बला के शहीदों की याद में बड़ों के साथ साथ बच्चों ने भी जंजीर के मातम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। जंजीरजनी के बाद दोनों जुलूस अपने ख़दीमी रास्तों से होते हुए अपनी अपनी कर्बला की ओर चल दिये। छोटे इमामबाड़े का ताजिया कोल्ड स्टोर के पास कर्बला में दफन किया गया। वहीं बड़े इमामबाड़े का ताजिया गेवड़े मैदान के पास कर्बला में दफन किया गया। इसके अलावा हिन्दू धर्म के राजू, संजय एवं उनकी मां रोनी देवी ने ताजिया रखकर इमाम हुसैन को अपनी जानिब से खेराजे अकीदत पेश की और मटियारा चौराहे के पास कर्बला में ताजिया को दफन किया। वहीं परसदेपुर में दूसरा जुलूस अहले सुन्नत हजरात का काजी के पुरवा वार्ड नंबर 3 के निवासी तारिख अंसारी के घर से लगभग दिन में 2 बजे निकाला गया जो लगबग 4 बजे दुधया के कर्बला में पहुंच कर समाप्त हुआ। सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा।
जिले के सभी थानों को प्रशासन ने पूरी तरह से मुस्तैद रहने को कहा गया था और सभी कस्बो में में शांती बनाये रखने को भी आम जनता से खा गया था, जिलाधिकारी संजय खत्री, एसपी सुजाता सिंह के निर्देश के अनुसार सभी सीओ एवं सभी कोतवाल और थाना अध्यझ अपने अपने झेत्र में मौजूद रहे।