शहर कस्बे के शब्बीर अली ने बताया कि चाइनीज लाइटों के प्रचलन से पूर्व दीपावली का त्योहार आते ही करीब 2 माह पहले से मिट्टी की दिवालियां बनाने का कार्य चालू हो जाता था। त्योहार आने तक कुम्हारों को हजारों रुपए का मुनाफा मिल जाता था, जिससे उनके परिवार का अच्छे से भरण-पोषण होने लगता था और बच्चों की पढ़ाई लिखाई की फीस भी आराम से जमा हो जाती थी।
अब आधुनिक समय के अनुसार चाइनीज लाइटों का प्रचलन बढ़ने के साथ ही कुम्हारों का रोजगार धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।
दीपावली का त्योहार आते ही प्रत्येक वर्ष चाइनीज लाइटों का दाम दिन-ब-दिन बढ़ता और मिट्टी की दीवालियों का दाम सस्ता होता जा रहा है। इसके बाद भी लोगों का मोह चाइनीज लाइटों से नहीं कम नहीं हो रहा है। वैैसे तो मिट्टी की दीवाली 20 से 25 रुपए में 100 पीस, मिट्टी का करवा 20 रुपए में एक पीस, मिट्टी का मटका 50 से 80 रुपए में एक पीस है। वहीं चाइनीस लाइटों का दाम 100 रुपए से लेकर 250 रुपए प्रति पीस है।