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रेरा: सिर्फ 3 दिन बाकी, एक भी प्रोजेक्ट नहीं हुआ रजिस्टर

Published: Jul 27, 2017 10:52:00 am

जयपुर, बीकानेर, गंगानगर, सीकर, कोटा और अलवर से ही रेरा में रजिस्ट्रेशन करवाए गए हैं

real estate land plan

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जयपुर। रियल एस्टेट रेग्यूलेरेटी एक्ट (रेरा) में ऑनगोइंग प्रोजेक्ट्स के रजिस्ट्रेशन के लिए 31 जुलाई तक का वक्त है, लेकिन प्रदेश के 27 जिलों में चल रहे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में से किसी ने भी अब तक इसमें रजिस्ट्रेशन नहीं लिया है।

सिर्फ जयपुर, बीकानेर, गंगानगर, अलवर, सीकर और कोटा के कुल 20 प्रोजेक्ट्स ही अब तक रेरा में रजिस्टर्ड हुए हैं। हालांकि जैसे-जैसे अंतिम तिथि नजदीक रही है वैसे-वैसे रजिस्ट्रेशन आवेदनों की संख्या बढ़ भी रही है। मंगलवार तक 48 प्रोजेक्ट्स आवेदन कर चुके हैं।

देरी इसलिए भी क्योंकि गलत जानकारी देने पर लग सकता है भारी जुर्माना
डवलपर्स का कहना है कि रेरा में रजिस्ट्रेशन के लिए मांगी जा रही जानकारी बहुत ज्यादा है। ऐसे में डाक्यूमेंट्स को रेरा वेबसाइट पर अपलोड करने में भी समय लगता है। इसके अलावा डाक्यूमेंट्स में प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी गलत हो तो प्रमोटर को प्रोजेक्ट की लागत का 5 प्रतिशत तक जुर्माना देना पड़ सकता है।

प्रोजेक्ट लागत का 10 फीसदी तक जुर्माना
प्रोमोटर रेरा के प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो उसे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत के 10% तक जुर्माना या 3 साल के कारावास हो सकता है या फिर दोनों।

बिना रजिस्ट्रेशन 31 जुलाई के बाद बुकिंग बंद
प्रदेश में ऑनगोइंग प्रोजेक्ट्स को रेरा में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 3 माह की छूट दी गई थी। इसकी अवधि 31 जुलाई को पूरी हो रही है। इस समयावधि में जिन ऑनगाइंग प्रोजेक्ट्स का रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं है तो है वे 1 अगस्त से तो प्रोजेक्ट की मार्केटिंग कर पाएंगे और ही बुकिंग ले सकेंगे।

रेरा में रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया काफी लंबी है। खास तौर से दूर-दराज के इलाकों में लोगों के पास पूरी जानकारी भी नहीं है। हमारी मांग है कि अंतिम तिथि कम से कम एक माह और बढ़ाई जानी चाहिए।
-विनय जोशी, प्रेसीडेंट, राजस्थान अफोर्डेबल हाउसिंग डवलपर्स एसोसिएशन

रजिस्ट्रेशन में दिक्कत रही है तो हम फोन पर भी समाधान कर रहे हैं। अब रजिस्ट्रेशन कराने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है।
– प्रदीप कपूर, रजिस्ट्रार रेरा

जैसे-जैसे रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि नजदीक आएगी रेरा में रजिस्ट्रेशन बढ़ेंगे। ज्यादातर प्रमोटर वेट एंड वाच की स्थिति में हैं।
– आत्माराम गुप्ता, चेयरमैन, एआरजी ग्रुप

बड़े डवलपर्स तो रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं लेकिन छोटे डवलपर्स के पास पर्याप्त प्रशिक्षित स्टॉफ नहीं होता। करीब 50-60 पेज के डाक्यूमेंट्स बनाने होते हैं फिर इन्हें वेबसाइट पर अपलोड भी करना है। गलती नहीं हो, इसलिए रिवेरिफाइ भी करना होता है।
– गोपाल प्रसाद गुप्ता, चेयरमैन, अनुकंपा ग्रुप

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