आवारा मवेशियों को पकडऩे के लिए नगर निगम ने एक नया वाहन भी खरीदा है। इसका नियमित उपयोग नहीं किया जा रहा है। अवसर विशेष या फिर किसी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश के बाद यह वाहन शहर में निकलता है। वाहन इसीलिए खरीदा गया था कि नियमित रूप से शहर में भ्रमण करेगा और जहां भी सड़कों पर आवारा मवेशी पाए जाएंगे उन्हें पकड़कर गौशाला पहुंचाएंगे। जिन कर्मचारियों को पहले इसमें लगाया गया था उन्हें अब दूसरे कार्यों में लगा दिया गया है।
नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो आवारा मवेशियों को पकडऩे के लिए वह अभियान चला रहे हैं। इन्हें रखने की व्यवस्था नहीं है। लक्ष्मणबाग गौशाला में सीमित संख्या में ही मवेशी स्वीकार किए जाते हैं। खासतौर पर एक्सीडेंटल मवेशियों को गौशाला प्रबंधन ले रहा है पर जो ठीक हैं उन्हें नहीं लिया जा रहा है। इतना ही नहीं पूर्व में जो मवेशी पहुंचाए गए थे उन्हें भी गौशाला प्रबंधन छोड़ देता है, जिससे वह फिर सड़कों पर भ्रमण करने लगते हैं। जानकारी मिली हैकि नगर निगम मवेशियों की देखभाल के बदले गौशाला को हर साल पांच लाख रुपए देता है। अब इस रकम को बढ़ाकर दस लाख किया गया है।
बीते महीने नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से नगर निगम आयुक्त को एक पत्र आया है। जिसमें कहा गया हैकि शहर में आवारा घूमने वाले जानवरों की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर बनाईजाए। नगर निगम की ओर से अब तक कोईविशेष इंतजाम नहीं किए गए हैं। नगरीय प्रशासन विभाग के पत्र में उल्लेख था कि कोर्टने शहरों की सड़कों पर विचरण कर रहे आवारा मवेशियों को हटाने का निर्देश दिया है।