ये तस्वीर भोपाल के शाहपुरा लेक की है। यहां बने स्मार्ट बाइक प्वाइन्ट पर कोई अपनी देशी साइकिल भी पार्क कर गया। नगर निगम ने इस जगह को विशेष रूप से जर्मनी से आई साइकिलों के लिए रिजर्व किया था, और इसीलिए किसी ने सोचा होगा कि आखिर इससे सुरक्षित जगह और कहां होगी। जहां लाखों की साइकिलें बिना किसी की मौजूदगी के इस तरह रखी हुई हैं, वहां एक और सही।
वैसे हो भी क्यों न, लगभग तीन करोड़ रुपए का ये भारी भरकम प्रोजेक्ट जिस शानोशौकत के साथ लाया गया था, वही अब टांय टांय फिस्स नजर आ रहा है। आरआरएल तिराहे से मिसरोद तक बनने वाली लाल रंग की डेडीकेटिड साइकिल लेन अभी भी पूरी नहीं हो पाई है। बरसात का सीजन है, कई जगह पानी भर जाता है। बाकी समय जब पानी नहीं भरता तो ये लोगों के टहलने और आवारा जानवरों के आराम करने की जगह बन जाता है। वैसे भी वॉटर डक्ट के ऊपर बनी इस लेन को समय समय पर खोलने की जरूरत भी पड़ ही जाती है।
इतना ही नहीं, शहर भर में आपको कई साइकिल पॉइन्ट्स ऐसे भी मिल जाएंगे, जहां पर साइकिलों पर लोग बैठे रहते हैं। उनके साथ फोटो खींचते हैं। वैसे हर पॉइन्ट पर एक व्यक्ति साइकिलों की देखभाल के लिए अपॉइन्ट किया गया है, लेकिन यहां पर भी हाल एटीएम्स जैसा ही है। लाखों रुपए की प्रॉपर्टी यूं ही खुलेआम रखी रहती है।
वैसे साइकिल और साइकिल ट्रैक के मिसयूज की ये कोई पहली खबर नहीं है। ऑफिशियली इस ट्रैक के उद्घाटन के पहले से ही निगम का मिस मैनेजमेंट जगजाहिर हो चुका है। इसी साल की शुरुआत में इस साइकिलिंग प्रोजेक्ट का शुभारम्भ होना था, लेकिन कई कारणों की वजह से कुछ महीने लेट हो गया। इतना ही नहीं बीआरटीएस के वजह से संकरे मार्गों पर जाम लगते ही वाहन सवार धड़ल्ले से बाइक शेयरिंग ट्रैक का इस्तेमाल करते नजर आ रहे थे। हालांकि बाद में अवरोधकों के लग जाने के बाद इस पर लगाम लग पाई।
जिस प्रोजेक्ट को भोपाल की शान समझा जा रहा था, वही अधर में लटका है। नगर निगम ने पहले फेज में आर आर एल तिराहे से बागसेवनिया थाने तक साइकल ट्रैक तैयार करवा लिया था। इसके बाद इसे आगे मिसरोद तक ले जाना था, लेकिन निगम ने बीच में ही काम रोककर विद्या नगर साइड पर ट्रैक बनाना शुरू कर दिया। हालात ये हैं कि आपको दिन भर में इक्का दुक्का लोग की इस साइकल ट्रैक पर साइकिल चलाते नजर आएंगे।
स्मार्ट बाइक यानी साइकिल का प्रमोशन करने के लिए फ्री राइड का ऑफर दिया गया था। इसके लिए बाकयदा मोबाइल एप लॉन्च की गई थी। लेकिन गजब की बात ये रही कि इसका मोबाइल एप डाउनलोड करते ही फ्री में पूरे दिन साइकिलिंग का ऑफर चुपके से जारी कर स्टैंड से साइकिलें हटा ली गईं। स्थिति ये रही कि 41 स्टैंड में से 13 पर ही साइकिलें मिलीं। ये भी पर्याप्त नहीं। महज 33 साइकिलें। कई स्टैंड तो ऐसे रहे, जहां सुबह से रात तक महज एक ही साइकिल रही।
हालांकि, संबंधित अफसर इसकी दूसरी वजह बताते नजर आए। वे स्टैंड पर साइकिलें नहीं होने की वजह इनकी री-कोडिंग बता रहे थे। स्मार्टसिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन सीईओ चंद्रमौली शुक्ला का कहना था कि फ्री का ऑफर होने से लोग साइकिलें लंबी राइड पर या हो सकता है मोहल्ले में, घर पर ले गए हों। शुक्ला का दावा था कि हमारे पास 225 साइकिलें है, इनमें से 100 स्टैंड पर लगा रखी थीं, 125 की री-कोडिंग कर बुधवार-गुरुवार को स्टैंड पर लगा देंगे।