इसके पीछे भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया जेडीए द्वारा करने और क्षेत्र जेडीए परिधि में आने का तर्क दिया है। गंभीर यह है कि जेडीए को जनता की चिंता नहीं है लेकिन खुद और अफसरों के जेब की चिंता जरूर सताने लगी है। हालात यह है कि शहर में घूमने और बाहर आने—जाने के लिए वाहन चालक को टोल देने की मजबूरी बनी हुई है। जेडीए सचिव ने एनएचएआई के मुख्य महाप्रबंधन को पत्र लिखा है।
खुद की भरेगी जेब, फिर भी…
रिंग रोड जेडीए से एनएचएआई के पास चली गई है। एनएचएआई जेडीए को हर साल बतौर प्रीमियम राशि देगा। हर साल 35 करोड़ रुपए देने का करार हुआ है। इस आधार पर 350 करोड़ रुपए बनते हैं, लेकिन हर वर्ष 8 प्रतिशत बढ़ोतरी भी होगी। ऐसे में दस वर्ष में जेडीए के खाते में करीब 515 करोड़ रुपए आ जाएंगे। इसके बावजूद टोल टैक्स में छूट चाह रहा है, लेकिन जनता को राहत देने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है।
रिंग रोड जेडीए से एनएचएआई के पास चली गई है। एनएचएआई जेडीए को हर साल बतौर प्रीमियम राशि देगा। हर साल 35 करोड़ रुपए देने का करार हुआ है। इस आधार पर 350 करोड़ रुपए बनते हैं, लेकिन हर वर्ष 8 प्रतिशत बढ़ोतरी भी होगी। ऐसे में दस वर्ष में जेडीए के खाते में करीब 515 करोड़ रुपए आ जाएंगे। इसके बावजूद टोल टैक्स में छूट चाह रहा है, लेकिन जनता को राहत देने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है।
वैकल्पिक रास्ता भी हो जाएगा बंद
रिंग रोड में टोल टैक्स से मिलने वाली रोकड़ कम नहीं हो, इसके लिए एमओयू में शर्त जोड़ी गई है। इसमें जेडीए को सुनिश्चित करना होगा कि कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं हो, जिससे राजस्व प्रभावित हो। आगरा रोड से अजमेर रोड के बीच (बाहरी इलाके से) वैकल्पिक रास्ता नहीं होगा।
रिंग रोड में टोल टैक्स से मिलने वाली रोकड़ कम नहीं हो, इसके लिए एमओयू में शर्त जोड़ी गई है। इसमें जेडीए को सुनिश्चित करना होगा कि कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं हो, जिससे राजस्व प्रभावित हो। आगरा रोड से अजमेर रोड के बीच (बाहरी इलाके से) वैकल्पिक रास्ता नहीं होगा।
सरकार का मकसद, उम्मीद के विपरीत
सरकार की मंशा रही है कि चालक यदि अजमेर रोड या आगरा रोड से टोंक रोड तक जाना चाहे, तो टोल लगे बिना नहीं जा पाएं। राज्य सरकार चाहती तो एमओयू में एनएचएआई को एक ही टोल प्लाजा लगाने के लिए रजामंद कर सकती थी, क्योंकि 47 किमी में ही दो टोल कुछ ही जगह होंगे।
सरकार की मंशा रही है कि चालक यदि अजमेर रोड या आगरा रोड से टोंक रोड तक जाना चाहे, तो टोल लगे बिना नहीं जा पाएं। राज्य सरकार चाहती तो एमओयू में एनएचएआई को एक ही टोल प्लाजा लगाने के लिए रजामंद कर सकती थी, क्योंकि 47 किमी में ही दो टोल कुछ ही जगह होंगे।