महत्वपूर्ण बात यह रही है कि स्वच्छता को लेकर नगरीय निकाय यदि कुछ दावा करता है तो उसे मौके पर दिखाना भी होगा। इस बार सर्वे में माइनस मार्किंग का भी प्रावधान रखा गया है। तीन भागों में होने वाले इस सर्वे में 1200 अंक डायरेक्ट आब्जर्वेशन के होंगे। जिसमें दिल्ली से आने वाली टीम मौके पर यदि दावे के अनुसार व्यवस्था नहीं पाएगी तो माइनस मार्किंग का प्रस्ताव देगी। इससे बचने के लिए कार्यशाला में जानकारी दी गई।
महापौर ममता गुप्ता ने कहा कि जिस तरह से रीवा ने संकल्प के साथ स्वच्छता का मिशन चलाया था और बेहतर स्थान मिला, उसी तरह सभी यह संकल्प लेकर चलें कि हमे अच्छी रैंकिंग लानी है तो सफलता जरूर मिलेगी। संभागायुक्त एसके पॉल ने कहा कि जब से स्वच्छता रैंकिंग के लिए सर्वे प्रारंभ हुआ है, तब से शहरों की सफाई अपने आप बढ़ गई है। रीवा का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां तेजी से परिवर्तन हुआ है। संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन आरपी सिंह ने बताया कि पिछले सर्वे में रीवा देश का सबसे तेज गति से स्वच्छता के क्षेत्र में कार्य करने वाला शहर बना था। इसी को ध्यान में रखते हुए सभी निकाय अपने यहां काम करें। मौके पर नगर निगम के आयुक्त सौरभ कुमार सुमन, सतना की निगम आयुक्त प्रतिभा पाल, सिंगरौली के आयुक्त सुरेन्द्र सिंह मौजूद रहे।
छोटे शहरों के कचरा प्रबंधन का भी इंतजाम
कार्यशाला को संबोधित करते हुए उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने कहा कि इस बार छोटे शहर भी स्वच्छता सर्वे में शामिल होंगे। इनके यहां से निकलने वाले कचरे का प्रबंधन करने के लिए कलस्टर आधारित प्रोजेक्ट जल्द ही पहडिय़ा गांव में प्रारंभ हो रहा है। यहां पर पांच मेगावॉट बिजली कचरे से बनेगी। मंत्री ने रीवा और शहडोल संभाग के नगरीय निकायों के अधिकारियों से कहा कि यह मानकर वह नहीं चलें कि सबसे कमजोर हैं, पूरी मेहनत के साथ काम करें तो लक्ष्य जरूर हासिल होगा। बीते साल रीवा, सतना और सिंगरौली के टॉप १०० में शामिल का उल्लेख करते हुए कहा कि पूर्व में यह शहर बहुत पीछे जाने जाते थे।
सांसद ने कहा ड्यूटी नहीं सेवा से मिलेगा लक्ष्य
सांसद जनार्दन मिश्रा ने अपने चिरपरिचित अंदाज में अधिकारियों से दो टूक कहा है कि वह केवल ड्यूटी करते हैं, इसे यदि सेवाभाव मानकर चलें तो अवश्य सफल होंगे। स्वच्छता को लेकर चलाए जा रहे अभियान में अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही के कई उदाहरण भी दिए।