इसी प्रकार टोल से 200 मीटर दूर येलो लाइन भी होती है। जिसके भीतर आने वाले वाहन निर्धारित समय में नहीं गुजरे तो लाइन के पीछे वाले वाहन को टोल फ्री करना पड़ेगा। डेली अपडाउनर्स का कहना है कि टोल से वाहन को फ्री नहीं छोड़ा जाता।
पूछताछ में लगता वक्त टोल की लाइन में लगे वाहन चालकों ने बताया कि देरी होने के लिए भी टोल प्रबंधन का स्टाफ जिम्मेदार है। पास व स्मार्ट कार्ड बनवा रखे हैं। कार्ड टोल बूथ में लगे सिस्टम में इतनी देरी बाद रीड किया जाता है कि पीछे लाइन लंबी होती जाती है। कई बार ट्रक चालकों के कार्ड पुराने होने के कारण घिस जाते हैं तो कम्प्यूटर उनकी रीडिंग नहीं कर पाता। एेसे में गाड़ी आगे नहीं खिसकती है।
धीमी प्रक्रिया गेगल टोल प्लाजा पर सबसे अधिक समय फ्री पास होल्डर के वाहन में लगता है। कम्प्यूटर धीमा चलने से फ्र ी पास धारियों के कार्ड रीड नहीं कर पाता है। एेसे में पीछे लाइन लंबी होती जाती है।
फास्टैग लेन में वाहनों से लंबी कतार फास्टैग लेन का उद्देश्य वाहनों को फौरन टोल से निकालना होता है। इस लाइन में बड़े ट्रेलर व ट्रक घुस जाते हैं उनकी पड़ताल में या वजन अधिक होने पर तौल कराने के लिए वाहन को पुन: पीछे लेना पड़ता है। इस प्रक्रिया में पीछे खड़े वाहनों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। फास्टैग की लेन पर पहले से ही वाहनों को रोका जाना चाहिए, लेकिन इस संबंध में व्यवस्था नहीं होने से फास्टैग लेन में और अधिक देरी लगती है।