तुरन्त चिकित्सक से सलाह लें
पोटैशियम ऐसा मिनरल है जो शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पोटैशियम दिल, किडनी और अन्य अंगों के सामान्य रूप से काम करने के लिए आवश्यक है। पोटैशियम एक इलेक्ट्रोलाइट है। यह पोषक तत्वों को कोशिकाओं के अंदर और अपशिष्ट उत्पादों को कोशिकाओं से बाहर ले जाने में मदद करता है। इसलिए पोटैशियम की कमी से होने वाले लक्षण नजर आने पर तुरन्त चिकित्सक से सलाह लें।
4700 मिलीग्राम पोटैशियम की जरूरत
सामान्यत: महिला को प्रतिदिन 4700 मिलीग्राम पोटैशियम की जरूरत होती है। यद्यपि गर्भावस्था में इसकी जरूरत बढ़ती नहीं है, लेकिन पोटैशियम युक्त भोजन नियमित लेना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप 50 प्रतिशत तक बढ़ता है।
कर्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता
गर्भावस्था में हाइपरक्लेमिया या उच्च पोटैशियम का स्तर खतरनाक हो सकता है। यह कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है। किडनी की फेल्योरिटी का कारण भी है।
कम हो स्तर तो सावधान
गर्भवती महिला में पोटैशियम के स्तर में कमी से थकान, पानी की कमी से पैरों, टखने में सूजन, निम्न रक्तचाप से चक्कर आना, हाथ-पैरों की उंगलियों में अकडऩ, मांसपेशियों में असामान्य कमजोरी, कब्ज, असामान्य दिल की धड़कन और अवसाद हो सकता है। प्राकृतिक खाद्य पदार्थ से भी इसके कमी को पूरा किया जा सकता है। टमाटर, आलू, केला, बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, दही, मछली, मशरूम आदि में यह भरपूर मात्रा में होता है।