महानवमी की पूजा के बाद कुंडा के बाहुबली क्षत्रिय विधायक राजा भैया ने जनता दरबार में जाकर लोगों की समस्या सुनी। राजा भैया ने सभी की समस्याओं का समाधान कराते हुए कार्यकर्ताओं का भी हाल जाना। इसके बाद राजा भैया ने कहा कि जाति के नाम पर भेदभाव करके समाज का विकास नहीं किया जा सकता है। भारत के संविधान ने सभी को बराबरी का हक दिया है। राजा भैया ने कहा कि सभी जाति के लोगों का समाज पर बराबर का हिस्सा है और यह हक उनसे कोई छीन नहीं सकता है। पिता अपनी सम्पत्ति का बंटवारा सामान रुप से नहीं करता है तो बच्चों में कलह हो जाती है उनकी आने वाली पीढिय़ा भी इसी बात को लेकर झगड़ती रहती है। इसी तरह कोई सरकार भी इस तरह का भेदभाव किसी के साथ करेगी तो आने वाले वाली पीढिय़ों पर इसका खराब असर पड़ेगा। राजा भैया की इन बातों को सुन कर लोगों ने उन्हें सलाम किया। कहा पहले सोचते थे कि क्षत्रिय बाहुबली होने के कारण वह एक ही जाति के नेता हो सकते थे लेकिन उनके विचार जानने के बाद सारा भ्रम दूर हो गया। इस अवसर पर सहकारी बैंक के अध्यक्ष डा.केएन ओझा, बाबागंज विधायक विनोद सरोज, प्रतिनिधि हरि ओम शंकर श्रीवास्तव, बाबागंज प्रमुख पंकज सिंह, कालांकर प्रमुख बीएन सिंह, जिला पंचायत सदस्य बबलू सिंह आदि लोग उपस्थित थे।
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सभी का मिलेगा साथ, तभी नयी पार्टी की दिखेगी ताकत
राजा भैया जानते हैं कि नयी पार्टी बनाने के बाद लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखानी होगी। इसके लिए सभी जाति व धर्म के लोगों का साथ मिलना जरूरी है। कुंडा तो राजा भैया का अभेद्य किला है। पार्टी को अन्य जगह पर खड़ा करने के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाने की आवश्यकता होगी। लोकसभा चुनाव में मायावती, राहुल गांधी व अखिलेश यादव के महागठबंधन का सीधा मुकाबला पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह से हो सकता है इन परिस्थितियों में नयी पार्टी को खड़ा करना आसान नहीं होगा। जबकि शिवपाल यादव जैसे नेता भी अपने मोर्चा के साथ मैदान में डटे हुए हैं।
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राजा भैया जानते हैं कि नयी पार्टी बनाने के बाद लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखानी होगी। इसके लिए सभी जाति व धर्म के लोगों का साथ मिलना जरूरी है। कुंडा तो राजा भैया का अभेद्य किला है। पार्टी को अन्य जगह पर खड़ा करने के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाने की आवश्यकता होगी। लोकसभा चुनाव में मायावती, राहुल गांधी व अखिलेश यादव के महागठबंधन का सीधा मुकाबला पीएम नरेन्द्र मोदी व अमित शाह से हो सकता है इन परिस्थितियों में नयी पार्टी को खड़ा करना आसान नहीं होगा। जबकि शिवपाल यादव जैसे नेता भी अपने मोर्चा के साथ मैदान में डटे हुए हैं।
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