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पीपीपी मोड के चिकित्सालय भी बीमार

locationप्रतापगढ़Published: Aug 25, 2019 12:14:27 pm

Submitted by:

Devishankar Suthar

जिले में ग्रामीण इलाकों में संचालित चिकित्सा संस्थाओं पर कर्मचारियों की कमी है। लेकिन पीपीपी मोड पर संचालित चिकित्सालयों में भी चिकित्साकर्मियों की कमी है। ऐसे में लोगों को उचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। हालात यह है कि इन चिकित्सालयों में चिकित्सक भी नहीं है।

पीपीपी मोड के चिकित्सालय भी बीमार

पीपीपी मोड के चिकित्सालय भी बीमार


जिले में संचालित है तीन पीएचसी
चिकित्सकों व संसाधनों की कमी
प्रतापगढ़
जिले में ग्रामीण इलाकों में संचालित चिकित्सा संस्थाओं पर कर्मचारियों की कमी है। लेकिन पीपीपी मोड पर संचालित चिकित्सालयों में भी चिकित्साकर्मियों की कमी है। ऐसे में लोगों को उचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। हालात यह है कि इन चिकित्सालयों में चिकित्सक भी नहीं है। इसे लेकर गत दिनों ही जिला कलक्टर ने भी खासी नाराजगी जताई थी। इस पर संबंधित एजेंसी को चिकित्साल विभाग ने नोटिस जारी किए है।
ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा संस्थानों पर चिकित्सक और अन्य कर्मचारियों का ठहराव नहीं होता है। साथ ही विभाग के पास चिकित्साकर्मियों की कमी भी है। इसे देखते हुए कुछ चिकित्सा संस्थााओं को वर्ष २०१७ से अनुबंध के तहत संचालित करने के लिए निजी संस्थाओं को पीपीपी मोड पर दिए गए थे। इसके तहत जिले में भी तीन प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र को पीपीपी मोड पर दिए थे। लेकिन इनमें भी पर्याप्त कर्मचारी नहीं है। जिससे ग्रामीणों को उपचार नहीं मिल पा रहा है।
जिले में ये पीएचसी है पीपीपी मोड पर
जिले में आंबीरामा, रामपुरिया और अचनेरा के प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पीपीपी मोड पर संचालित है। इसमें आंबीरामा पीएचसी २० जून २०१६ से, रामपुरिया ११ दिसंबर २०१७ से, अचनेरा पीएचसी १३ अप्रेल २०१७ से संचालित है।
यह है अनुबंध में
पीपीपी मोड पर संचालित चिकित्सा संस्थानों में मानव संसाधन संबंधित फर्म को उपलब्ध कराने होते है। जबकि दवाइयां और अन्य संसाधन चिकित्सा विभाग उपलब्ध कराता है। मानव संसाधन में कुल नौ चिकित्साकर्मियों को लगाने होते है। इसमें एक चिकित्सक, कंपाउंडर, तकनीशियन व अन्य कर्मचारी लगाने होते है। इसके लिए सवा दो से ढाई लाख रुपए देय होते है।

चिकित्सक तक नहीं
बरखेड़ी
यहां संचालित केन्द पर चिकित्सक समेत कर्मचारियों के पद रिक्त है। जबकि पूरा चिकित्सालय में आवश्यक संसाधन उपलब्ध है। यहां चिकित्सक नहीं है। दो जीएनमए, एक एलएचवी, एक डीईओ, एक सफाईकर्मी, एक फार्मासिस्ट है। यहां एलटी का अप्रेल माह से नहीं है। जिससे आवश्यक जांचें भी नहीं हो पाती है। यहां पांच पलंग भी है। जिससे किसी को आवश्यकता होने पर भर्ती किया जा सके। यहां के ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने इस चिकित्सालय को पीपीपी मोड से हटाने की मांग की है।
जारी किए है नोटिस
जिले में तीन पीएचसी को पीपीपी मोड पर दिया गया है। जो गत तीन वर्ष से संचालित हो रहे है। चिकित्सक नहीं लगाने पर संबंधित संस्था को दिए जाने वाले मासिक में से नियमानुसार रुपए की कटौती की जाती है। केन्द्रों के सुचारू संचालन नहीं होने पर शिकायतें आई थी। जिस पर जिला कलक्टर के निर्देश पर नोटिस जारी किए गए है। हाल ही में निर्देश मिले है कि इन चिकित्सालयों के भौतिक सत्यापन के लिए टीम का गठन किया गया है।
डॉ. वीसी जैन
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, प्रतापगढ़

वीडियोग्राफी से होगा भौतिक सत्यापन
प्रदेश में पीपीपी मोड पर संचालित पीएचसी का भौतिक सत्यापन अब वीडियोग्राफी से किया जाएगा। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। जो भौतिक सत्यापन करेगी। कमेटी में अध्यक्ष समेत चार लोग शामिल किए गए है। जिसमें निदेशालय स्तर से जिला प्रभारी को अध्यक्ष बनाया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, ब्लॉक मुख्य चिकित्साधिकारी एवं सहायक लेखाकार को सदस्य बनाया गया है। इस कमेटी को निर्धारित प्रपत्र में वीडियोग्राफी के साथ सभी चिकित्सा संस्थानों की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत करनी होगी।
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