धरियावद . धरियावद तहसील के उपखंड मुख्यालय स्थित धरियावद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बरसों से चिकित्सकों के रिक्त पदों एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से जुझ रहा हैं। केन्द्र पर चिकित्सकों के वर्तमान में स्वीकृत ११ पदों में से महज चार चिकित्सक केन्द्र पर कार्यरत हैं।जिनमें एक दंत चिकित्सक भी शमिल हैं।इनके अलावा इन कार्यरत चिकित्सकों में से एक चिकित्सक डा अवधेश बैरवा भी, जिनके पास वर्तमान में केंद्र का प्रभार भीं हैं। औसतन ४५० से ५०० मरीज उपचार एवं जांच के लिए प्रतिदिन केंद्र पर आ रहे है।जिनके उपचार की जिम्मेदारी वर्तमान में तीन चिकित्सकों के जिम्मे हैं।केन्द्र पर चिकित्सकों के रिक्त पदों के साथ साथ हीं विशेषज्ञ चिकित्सकों के पदों की कमी हैं। यहां केन्द्र पर विगत साढे पांच महीने से शिशु रोग विशेषज्ञ एवं चार माह से महिला प्रसूता विशेषज्ञ का पद रिक्त चल रहा है।
छोटीसादड़ी
उपखण्ड मुख्यालय के सबसे बड़े सामुदायिक चिकित्सालय में कई वर्षों बीत गए लेकिन अभी तक इसमें महिला रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं लगाया गया है। जिसका खामियाजा महिला रोगियों को उठाना पड़ रहा है। आंकड़ों की मानें तो वर्तमान समय में उपखंड मुख्यालय के सरकारी अस्पतालों में 4 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों पर मरहम.पट्टी तक की सुविधा 24 घंटे आम लोगों को मुहैया नहीं हो पाती। वैसे उपखंड क्षेत्र में लगभग एक लाख 35 हजार की आबादी पर रेफरल अस्पताल के अलावा कारुंडा, बम्बोरी, धोलापानी, केसुन्दा सहित 4 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है। 28 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। कुछ हद तक ब्लॉक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति भी बेहतर हुई है। लेकिन सुधार की इस प्रक्रिया के बीच चिकित्सकों की भारी कमी मरीजों के बेहतर इलाज की कमी खल रही है।अस्पताल में एक महीने में करीब साढ़े पांच हजार के करीब का आउटडोर रहता है। लोगो की चिकित्सक लगाने की मांग केवल मांग ही बनकर रह गई। जबकि यहां ना चिकित्सक लगे और ना ही बेहतर सुविधाएं मुहैया हो पाई है।
अरनोद सीएचसी में एक भी चिकित्सक नहीं
जिले के अरनोद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में हालत सबसे अधिक खराब है। यहां पर चिकित्सकों के पांच पद स्वीकृत है। लेकिन एक भी पद भरा हुआ है। यहां दो चिकित्सकों को अन्य स्थान से लगाया हुआ है। ऐसे में यहां लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसे लेकर भी ध्यान तक नहीं है।
पारसोला में तीन के बजाय पांच चिकित्सक
पारसोला .यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पांच चिकित्सक कार्यरत है। जबकि तीन के पद स्वीकृत है। इसके बावजूद भी मरीजों को पर्याप्त उपचार नहीं मिल पा रहा है। हाल ही में यहां विवाद होने पर विभाग ने जांच करवाई थी।जिसमें पाया गया कि यहां आपस में ही चिकित्सकों में मन-मुटाव है। ऐसे में मरीजों को इसका शिकार बनना पड़ता है। इसके अधीन सात सब सेंटर है। जिसमें से चार सेंटर बन्द है।
4 नर्सिंग स्टाफ के पद स्वीकृत है, जिसमें से एक ही मौजूद है। यहां प्रतिदिन 100 से ज्यादा ओपीडी व माह में 40 से ज्यादा प्रसव होते है। यहां मोर्चरी तक नहीं है। कस्बे से दूर होने के कारण रात्रि में लोगों को असुविधा होती हैं।
थड़ा सीएचसी में पांच में से एक चिकित्सक
थड़ा .यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर कुल पांच चिकित्सकों के पद स्वीकृत है। इनमें से मात्र एक ही कार्यरत है।ऐसे में यहां के लोगों को पूरा उपचार नहीं मिल पा रहा है।इसके साथ ही अन्य चिकित्साकर्मियों के पद भी रिक्त चल रहे है। जबकि यहां एक चिकित्सक कई माह से अनुपस्थित चल रहा है।
जिला चिकित्सालय में भी चिकित्साकर्मियों के पद खाली है। चिकित्सालय में स्वीकृत ५६ पदों में से केवल २४ चिकित्सक ही कार्यरत है। जिला चिकित्सालय में नर्सिंग कर्मचारियों की भी कमी है। यहां मेलनर्स प्रथम के २७ में से १५ एवं द्वितीय के ११५ में से ९३ ही कार्यरत है। नर्सिंग अधीक्षक के दोनों पद रिक्त है।
जले में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर करने के लिए प्रयास किए जा रहे है। चिकित्सा मंत्री से भी इस संबंध में बात की जा रही है। जिले में पहले कई चिकित्सकों के पद रिक्त है। ऐसे में अब सभी चिकित्सालयों में चिकित्सक लगाने के प्रयास किए जा रहे है।जहां अधिक आवश्यकता है, वहां प्राथमिकता में लिया गया है। यहां के लोगों को सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधा जिले में ही मिले, इसके लिए प्रयास किए जा रहे है।
रामलाल मीणा, विधायक प्रतापगढ़