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तपस्वियों का निकाला वरघोड़ा

locationप्रतापगढ़Published: Sep 15, 2018 07:05:20 pm

Submitted by:

Rakesh Verma

-गुमानजी मंदिर में हुआ धर्मसभा का आयोजन

pratapgarh

तपस्वियों का निकाला वरघोड़ा

प्रतापगढ़. शहर सहित जिले भर में कई जगह श्वेताम्बर समाज के उपवास करने वाले तपस्वियों का शनिवार को वरघोड़ा निकाला गया। शहर जैन श्वेताम्बर समाज के तपस्वियों का वरघोड़ा निकाला गया। आचार्य जिनवल्लभ की पावन निश्रा में 18 तपस्वियों का वरघोड़ा गुमानजी मंदिर से शुरू हुआ। जो मुख्य बाजारों में होता हुआ पुन: गुमानजी मंदिर पहुंचा। वरघोड़ा में आठ उपवास से मासक्षमण करने वाले तपस्वी शामिल हुए। वरघोड़ा गुमानजी मंदिर पहुंचा। जहां धर्मसभा का आयोजन किया गया।
जैन धर्म में जप, तप, आराधना और त्याग का पर्व है। सांवत्सरिक क्षमापना पर्व में मन, वचन, काया से किए गए पापों का खमत-खामणा मांगकर क्षमा मांगी जाती है। जिससे हृदय की पवित्रता बढ़ती है। ये विचार धर्मसभा में आचार्य जिनवल्लभ ने जैन श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा कि आठ और उससे ज्यादा की तपस्या करने वाले तपस्वियों का मार्ग में जगह-जगह लोगों की ओर से स्वागत किया गया। इस ऐतिहासिक वरघोड़े में युवक-युवतियां डीजे और बेंड बाजो की भक्ति धुनों पर नृत्य करते हुए चल रहे थे। आठ और उससे ज्यादा दिनों तक निराहार रह कर तपस्या करने वालों में कई छोटे छोटे बच्चे भी शामिल थे। मार्ग में जूलुस के दौरान आकर्षक रंगोली की सजावट भी आकर्षण का केन्द्र रही। वरघोड़े में सभापति कमलेश डोशी सहित शहर के कई जनप्रतिनिधि भी शामिल थे।

दलोट जैन समुदाय की ओर से शनिवार को जैन संप्रदाय द्वारा सिद्धितप व तपस्वियों का वरघोड़ा निकाला गया।वरघोड़ा कस्बे के जैन मंदिर से शुरू हुआ। जिसमें बैंड-बाजे, ढोल आदि के साथ 11 बग्गी, चार घोड़े व जैन समुदाय के लोग मौजूद रहे।
वरघोड़ा कस्बे के मुख्य मार्गो से होते हुए जैन उपाश्रय पहुंचा। जहां सभी तपस्वियों का बहुमान किया गया। पारणे का उज्जैन निवासी नेमीचंद महावीर भेरूलाल छाजेड़ ने लाभ लिया। अभिनंदन पत्र बाबूलाल भादरिया प्रतापगढ़ की ओर से भेंट करवाई। पाटीदार धर्मशाला में स्वामी वात्सलय हुआ। मासक्षमण करने में कविता बरमेचा 32 दिन, बरखा मेहता 30 दिन, 42 दिन के सिद्धि तप करने में उमराव सिंह चौधरी, पुखराजमल डूंगरवाल, जितेंद्र नलवाया, दिनेश डूंगरवाल, संजय राठौड़, अर्पित मेहता, शंकरलाल राठौड़, संगीता डूंगरवाल, कुसुम पिपाडा, मनोरमा दलाल, मधु बोहरा, अलमा कुदार, स्वीटी ओस्तवाल, संगीता डूंगरवाल, रजनी मुणोत, रेखा मेहता, सलोनी मोगरा, कविता राठौड़, प्रेमलता मारू, पूर्वी मेहता आदि ने किया। जिसमें शंकरलाल राठौड़ ने जैन ना होते हुए भी आचार्य जितेंद्र सुरेश्वर के आशीर्वाद से सिद्धि तप किया।
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