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प्रतापगढ़

कोरोना ने काटी सैलून संचालकों की कमाई, दुकानें बंद होने से घर चलाना हुआ मुश्किल

सेलून और ब्यूटी पार्लर संचालकों ने कहा समस्या होती जा रही गम्भीर
 

प्रतापगढ़May 11, 2020 / 08:02 pm

Hitesh Upadhyay

कोरोना ने काटी सैलून संचालकों की कमाई, दुकानें बंद होने से घर चलाना हुआ मुश्किल

कोरोना ने काटी सैलून संचालकों की कमाई, दुकानें बंद होने से घर चलाना हुआ मुश्किल

दलोट. कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के खतरे को लेकर देशभर में लागू लॉकडाउन में बड़े बड़े उद्योग तो बंद हुए ही हैं। छोटे व्यवसाय और व्यवसाइयों की रोजी रोटी भी छीन गई है। ऐसा ही एक व्यवसाय है सेलून का जो पूरी तरह ठप्प पड़ गया। इससे लोगों को परेशानी हो ही रही है। सैलून व्यावसायियों की भी चिंता बढ़ गई है। कोविड-19 के संक्रमण की दहशत के बीच जहां 48 दिनों से लोग सैलून में अपनी हजामत बाल और दाढ़ी बनवाने तरस रहे हैं, वहीं दुकानदार कमाई को। हाल ही में शहर से लेकर गांव तक आवश्यक जरूरतमन्द सामानों की दुकाने खोलने के आदेश सरकार ने दिए है, लेकिन सेलून, ब्यूटी पार्लर और स्पा को बंद रखने के आदेश हैं। ऐसे में सेलून और ब्यूटी पार्लर संचालक परेशान होने लगे हैं। लम्बे समय से लॉकडाउन के चलते अब इनके घरों का बजट बिगडऩे लगा है। अभी तो जो कुछ कमाया था किसी तरह काम चला रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे स्थिति गंभीर होती जा रही है। पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि लॉकडाउन अगर और लंबा चला तो ग्रामीण इलाकों के कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें खाने के लाले पड़ जाएंगे।
जूझ रहे आर्थिक तंगी से:

निनोर निवासी हेमंत सेन ने बताया कि समाज के कई लोग भूमिहीन है। किसानों के घर-घर जाकर बाल काटते है। किसानों के यहां से मिलने वाला फसलीवार गेहूं व धान से परिवार का भरण-पोषण चलता है। साथ ही कुछ अन्य लोगों के बाल नगद लेकर भी काटने का काम करते है, जिससे घर का खर्च निकल आता है। लॉकडाउन से कई परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। रतलाम के विनोद सेन ने बताया कि वह काफी समय से दलोट में सैलून की दुकान में बाल काटने का काम कर रहा है। लॉकडाउन में फ्री बैठा है। आर्थिक समस्या हो रही है। इनके साथ ही क्षेत्र के ग्राम बरखेड़ी निवासी मनोज सेन दुकान संचालित कर परिवार का भरण पोषण करता है। मनोज ने बताया कि जो रुपए पूर्व में जोड़े हुए थे उससे किसी तरह काम चला, लेकिन अब और लॉकडाउन रहा तो परिवार के भरण-पोषण की समस्या होगी। इसलिए अब धीरे-धीरे सभी को छूट मिलनी चाहिए, ताकि उनका भी जीवन यापन-चलता रहे।
मिले आर्थिक सहायता
जिला सेन समाज की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम एक ज्ञापन प्रतापगढ़ विधानसभा विधायक रामलाल मीणा को भी सौंपा गया हैं। जिसमें मांग करते हुए बताया गया हैं कि वे सेलून का कार्य कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन लॉकडाउन में सारे धंधे बंद है। निकट भविष्य में खोलने की कोई उम्मीद फिलहाल नजर नहीं आ रही। ऐसे में उन्हें सुविधा और आर्थिक सहायता दी जाए। उनका मार्च ,अप्रैल, मई किराया माफ किया जाए। साथ बिजली, नल के बिल माफ करने के साथ मासिक भत्ता 15000 दिया जाए। उन्होंने बताया कि विधायक रामलाल मीणा ने सेन समाज की व्यथा को समझ कर मुख्यमंत्री को आर्थिक सहायता दिलाने के लिए पत्र भी लिखा।अब समाज के लोगो को मुख्यमंत्री की ओर से सहायता मिलने की आस है। मांग करने में मनोज सेन, गोपाल सेन,राजू सेन, मोहन सेन, भेरू सेन, हेमंत सेन, राकेश सेन,विजय सेन, सहित समाज के अन्य लोग शामिल थे।
ग्रामीण क्षेत्रों के हाल बेहाल
सेलून का काम करने वाले लोगो की माली हालत सिर्फ शहर में ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी खराब हो चली है। दलोट, निनोर, बोरदिया, बड़ी साखथली, रायपुर, सालमगढ़, भचूंडला, चकुंडा सहित अन्य बड़े गांव एवं कस्बों की सेलून दुकानें बंद हैं। वे घरों में कैद हैं। गांवों में सदियों से प्रथा चली आ रही है कि सेन समाज के लोग घर-घर जाकर साल भर लोगों के दाढ़ी और बाल काटते हैं। इनके बदले उन्हें जब 6-6 माह में रबी और खरीफ की फसल आती है तो उसका पारिश्रमिक दिया जाता है। ऐसे में उन्हें चिंता सता रही कि जब लोगों के बाल और दाढ़ी बनाने को नहीं मिलेंगे तो फिर उनका मेहनताना कैसे मिलेगा। सदियों पुरानी प्रथा भी लॉकडाउन के चलते बंद हो गई है।
जैसे-तैसे जुगाड़, दुकान किराये की भी चिंता
सैलून संचालक गोपाल सेन व दिलीप सेन ने कहा कि 22 मार्च से दुकान बंद है। ये मध्यप्रदेश के हतनारा गांव के हैं जो दलोट में किराए से दुकान व मकार लेकर परिवार के साथ रहते हैं। दुकान बंद होने से आय बिल्कुल बंद हो गई है। सामान्य दिनों में प्रतिदिन की आय साढ़े तीन सौ से पांच सौ रुपए प्रति कारीगर होती है। लॉकडाउन के कारण दुकान बंद है और वे घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। परिवार के भरण पोषण के अलावा दुकान के किराये की भी चिंता है। दोनो जगह का किराया तीन माह का बकाया हो चुका है। पूर्व में काम करके जो थोड़े बहुत रुपये जोड़े थे उससे काम चल रहा है, आगे का बजट गड़बड़ा गया है। इसलिए शासन को चाहिए कि अपनी सुविधा के अनुसार निर्णय ले और सभी का ध्यान रखें। दुकान बंद रहने और आय नहीं होने से किराया कैसे चुकाएंगे, यह भी चिंता बनी रहती है।

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