मैग्निशियम कार्बोनेट, निकोटिन, तंबाकू या मिनरल ऑयल युक्त पानमसाला व फ्लेवर्ड सुपारी पर प्रतिबंध
प्रतापगढ़Published: Oct 02, 2019 07:00:43 pm
अधिकांश को नहीं पता, जिनको पता चला उन्हें अमल पर संशय-चिकित्सा विभाग को सैम्पल एकत्र कर अमल के लिए आया पत्र
मैग्निशियम कार्बोनेट, निकोटिन, तंबाकू या मिनरल ऑयल युक्त पानमसाला व फ्लेवर्ड सुपारी पर प्रतिबंध
प्रतापगढ़. युवाओं में नशे की लत को रोकने के लिए महात्मा गांधी की जयंती पर महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने राज्य में मैग्निशियम कार्बोनेट, निकोटिन, तंबाकू या मिनरल ऑयल युक्त पान मसाला और फ्लेवर्ड सुपारी के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ऐसे सभी उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। इन पदार्थों की पुष्टि स्टेट सेंट्रल पब्लिक हैल्थ लैबारेट्री राजस्थान द्वारा की जाएगी। इधर इस प्रतिबंध के बारे में प्रतापगढ़ जिले के अधिकांश विक्रेताओं और आम लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं थी। कुछ थोक विक्रेताओं को जरूर पता चला लेकिन उन्हें भी आधी-अधूरी ही जानकारी थी। भले ही तम्बाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया गया हो लेकिन इसकी पालना को लेकर आम लोगों में ही नहीं विक्रेताओं में भी संशय बना रहा। पत्रिका ने जब लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि देखते हैं क्या होताा है फिलहाल तो उन्हें इसकी पालना पर संशय है।
प्रतापगढ़ में हर माह लाखों की खपत
आदिवासी बाहुल्य प्रतापगढ़ जिला भी तम्बाकू उत्पादों के जहर से अछूता नहीं है। जिन लोगों को पदार्थों की तलब है वे रोजाना 5 से 10 या इससे ज्यादा पाउच गुटखा तो खाते हें। सिगरेट और बिड़ी की सेल इनसे दो गुना है। तम्बाकू उत्पादों के थोक विक्रेताओं के अनुसार यहां औसतन हर माह करीब 10 से 15 लाख के गुटखे और खैनी आदि तथा करीब 15 से 20 लाख की सिगरेट की खपत हो जाती है। वहीं सीमावर्ती क्षेत्रों में अन्य राज्यों से भी माल आता है।
5-7 मरीज रोज पहुंचते अस्पतालों में
तंबाकू का उपयोग भारत और विश्व स्तर पर मृत्यु और बीमारी का सबसे प्रमुख कारण है। तंबाकू के सेवन से मृत्यु दर और रुग्णता का परिणामी बोझ भारत में बहुत अधिक है। जोकि सभी के लिए चिंता का विषय है। चिकित्सकों के अनुसार पान मसाला और गुटखा के सेवन से मुंह खुलना बंद हो जाता है। दांत भी खराब होते हैं। ऐसे में पहले ये डेंटिस्ट के पास आते हैं। मुंह के अंदर का रंग लाल और सफेद धब्बे दिखते हैं तो यह कैंसर की पहली स्टेज है। इसमें मुंह भी कम खुलता है और दर्द होता है। इन मरीजों की पहचान करके उपचार के लिए ओरल सर्जन के पास इलाज के लिए भेजा जाता है। इन्हें जागरूक करते हैं कि निकोटीन युक्त पान.मसाला व गुटखा का सेवन करना बंद कर दें। बताया गया कि रोजाना 5 से 7 मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं।
गुटखा कंपनियों ने ये खेल रखा गेम
पहले प्लास्टिक पाउच बंद होने पर गुटखा कम्पनियों ने कागज के पाउच निकाले। बाद में तम्बाकू मिश्रित गुटखे पर प्रतिबंध के बाद गुटखा कंपनियों ने फिलहाल बड़ा गेम खेल रखा है। तंबाकू और कत्था मिश्रित सुपारी के अलग अलग पाउच बनाकर बाजार में उतारे हुए हैं। खाने वाला चाहे तो अलग से तंबाकू खरीदकर पान मसाले में मिला सकते हैं। जिनका प्रयोग धडल्ले से हो रहा है। ऐसे में तम्बाकू सेवन बढ़ा हुआ है।