राजनीति में आना हुआ आसान, अब लिखित परीक्षा और इंटरव्यू देकर बने नेता
सिद्धारमैया ने सबसे पहले रखा ये प्रस्ताव
बता दें कि कर्नाटक में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने टीपू जयंती बनाने को लेकर शुरू से ही विरोध करते आई है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सबसे पहले टीपू सुल्तान की जयंती मनाने का प्रस्ताव रखा था। विवादों के बीच पिछले साल टीपू जयंती मनाई गई थी, लेकिन बीजेपी ने इस पर आपत्ति जताई थी। विपक्ष के विरोध को दरकिनार करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने ये साफ कर दिया है कि सरकार अब अपने कदम पीछे नहीं लेगी।
क्या लिखा था पत्र में?
वहीं, टीपू की जयंती पर बीजेपा विरोध लगातार जारी है। केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने इस विरोध में एक कदम और आगे बढ़ा दिया है। अनंत कुमार के ओएसडी ने उनकी तरफ से एक पत्र कर्नाटक के मुख्य सचिव को भेजा है और पत्र में कहा कि उन्हें इस कार्यक्रम के आयोजन का न्यौता न भेजा जाए। पत्र में लिखा, ‘केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े 10 नवंबर को लोगों के विरोध के बावजूद टीपू जयंती मनाने के कर्नाटक सरकार के फैसले की निंदा करते हैं। इतिहास गवाह है कि टीपू हिंदू और कन्नड़ विरोधी था। इससे पहले भी कर्नाटक सरकार ने जब टीपू की जयंती मनाने की कोशिश की थी तो पूरे प्रदेश में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए थे और राज्य भर में हिंसक घटनाएं हुईं थीं। पत्र में लिखा की ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन सभी बातों के बावजूद सरकार उन्हें महिमामंडित करना चाहती है। हम इस फैसले की निंदा करते हैं। मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि कृपया टीपू जयंती के लिए आमंत्रित अतिथियों की लिस्ट में मेरे नाम का उल्लेख न करें।’
2015 में टीपू जयंती पर हुई हिंसा झड़प से मौत
गौरतलब है कि हाल ही में एक संगठन ने टीपू जयंती ना मनाने की मांग की थी। समिति ने मांग करते हुए कर्नाटक सरकार से टीपू जयंती न मनाए और सरकार को प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी। हालांकि राज्य सरकार ने साफ किया है कि वह इन प्रदर्शनों के भय से पीछे हटने वाला नहीं है। बता दें कि इससे पहले भी साल 2015 में, टीपू जयंती पर हुई हिंसा में विश्व हिंदू परिषद के नेता समेत दो लोगों की मौत हो गई थी।