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संशोधनों के चक्रव्यूह में लटका है मास्टर प्लान

locationबैंगलोरPublished: Sep 12, 2018 10:18:00 pm

नागरिकों से प्राप्त गंभीर आपत्तियों और जल स्रोतों के बफर जोनों से संबंधित राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के आदेश को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के बेंगलूरु के लिए प्रस्तावित संशोधित मास्टर प्लान (आरएमपी) -2031 के मसौदे में बदलाव करने की संभावना है।

संशोधनों के चक्रव्यूह में लटका है मास्टर प्लान

संशोधनों के चक्रव्यूह में लटका है मास्टर प्लान

बेंगलूरु. नागरिकों से प्राप्त गंभीर आपत्तियों और जल स्रोतों के बफर जोनों से संबंधित राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के आदेश को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के बेंगलूरु के लिए प्रस्तावित संशोधित मास्टर प्लान (आरएमपी) -2031 के मसौदे में बदलाव करने की संभावना है।

बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) के चेयरमैन और राज्य के उप मुख्यमंत्री डॉ. जी. परमेश्वर ने बेंगलूरु महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण और बीडीए के अधिकारियों के साथ बैठक की है, जिसमें आरएमपी-२०३१ के मसौदा पर व्यापक चर्चा हुई।

दरअसल मास्टर प्लान को पिछले वर्ष मार्च-२०१७ में ही अंतिम रूप दिया जाना था, लेकिन विभिन्न कारणों से इसमें देरी हुई है। इस कारण शहर में अब तक आरएमपी-२०१५ को ही लागू रखा गया है। परमेश्वर के अनुसार मास्टर प्लान मसौदा के लिए नागरिकों से १४००० आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। इनमें कुछ आपत्तियां काफी गंभीर हैं। इसलिए हमें इन आपत्तियों की बहुत सावधानीपूर्वक जांच करने की आवश्यकता है।


इसी प्रकार एनजीटी ने भी झील जैसे जलस्रोतों के बफर जोन पर ध्यान देने को कहा है। हमें आएमपी को अंतिम रूप देने के पूर्व इन सभी बातों को शामिल करने की जरूरत है। हालांकि आरएमपी-२०१५ को एनजीटी के इन निर्देशों का सामना करना नहीं पड़ा था, लेकिन आएमपी-२०३१ के लिए एनजीटी के दिशा निर्देशों को लागू करना होगा।


पर्यावरण एवं जल संरक्षण सहित प्रदूषण नियंत्रण को लेकर एनजीटी ने कई प्रकार के दिशा निर्देश जारी कर रखे हैं। इसके तहत एनजीटी ने कहा है कि जल निकायों के ७५ मीटर के दायरे को बफर जोन के रूप में बरकरार रखना अनिवार्य है।


यानी जल निकायों के ७५ मीटर किनारे तक किसी प्रकार की निर्माण गतिविधियां नहीं हो सकती हैं। वहीं बीडीए के मास्टर प्लान में कई सडक़ों का निर्माण बफर जोन में होना है। इसलिए अब पूरे प्लान को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है।

भविष्य की जरूरतों पर दिया जाएगा ध्यान
आरएमपी-२०३१ को अंतिम रूप देने की समय सीमा पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है। परमेश्वर और संबंधित अधिकारियों का कहना है कि जल्दबादी में कुछ नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह शहर के भविष्य से जुड़ा मामला है। शहर में यातायात की परेशानी है, इसी प्रकार सीवेज को झीलों में प्रवेश का मुद्दा अत्यंत चिंतनीय है।

नागरिक सुविधाओं से संबंधित कई अन्य मामले भी हैं जिन पर ध्यान देने की जरुरत है। नियमों के तहत पहले आरएमपी-२०३१ के मसौदा का अंतिम रुप दिया जाना है और उसे सरकार से मंजूरी मिलनी है। चूंकि किसी प्रकार का बदलाव मसौदा में ही किया जा सकता है इसलिए सरकार से मंजूरी लेने के पूर्व मसौदा को हर प्रकार से भविष्य की जरुरतों और सभी दिशा निर्देशों के अनुरूप तैयार करने की योजना है।

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