समय से पूर्व चुनाव कराने का फैसला आया काम
केसीआर का जल्दी विधानसभा चुनाव कराने का फैसला भी उनके पक्ष में गया, क्योंकि उन्हें डर था कि अगले साल विधानसभा चुनाव कराने के साथ लोकसभा चुनाव कराने से उनके कल्याण व विकास के मुद्दे पर असर पड़ सकता है। एक कमजोर विपक्ष और तेदेपा अध्यक्ष व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के 2015 में ‘कैश फॉर वोट’ घोटाले के मद्देनजर अपना ठिकाना विजयवाड़ा स्थानांतरित करने से केसीआर के लिए जीत आसान हो गई।
कल्याणकारी योजनाओं से लौटी सरकार
समाज के विभिन्न वर्गो के लिए लागू की गईं विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं ने केसीआर के वोटबैंक को मजबूती दी। उनका दावा है कि सालाना 40 हजार करोड़ रुपये कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च किए गए और तेलंगाना सभी राज्यों में लोगों को कल्याण मुहैया कराने वाला नंबर एक राज्य है। विधवाओं, बुजुर्गो, दिव्यांगों, अकेली महिलाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन, बुनाई व बीड़ी श्रमिकों के लिए वित्तीय सहायता और ‘कल्याण लक्ष्मी’ व ‘शादी मुबारक’ जैसी योजनाओं के तहत प्रत्येक लड़की को एक लाख रुपये की सहायता प्रदान करने जैसी योजनाओं ने केसीआर को विभिन्न वर्गों से जुड़ने में मदद की।
किसानों के लिए किया अच्छा काम
17,000 करोड़ रुपये कृषि ऋण माफ करना, किसानों को निर्बाध बिजली आपूर्ति, ‘रायतु बंधु’ के तहत फसल उगाने के लिए प्रत्येक किसान को प्रति फसल 4,000 रुपये का समर्थन, हाल ही में ‘रायतु बीमा’ के तहत किसानों को पांच लाख रुपये जीवन बीमा देने जैसी पहल की किसानों ने प्रशंसा की। हालांकि केसीअर ने स्वीकार किया कि युवाओं को नौकरी मुहैया कराने में नतीजे उस स्तर पर नहीं प्राप्त हुए, जितनी की संभावना थी।