दागी नेताओं के मामलों में अब सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की निगरानी करेगा सुप्रीम कोर्ट। अदालत ने मामलों का ब्योरा मांगते हुए अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को तय की है।
सियासत के ‘दाग’ धोने की तैयारी में सुप्रीम कोर्ट, राज्य और हाईकोर्ट दें जवाब
नई दिल्ली। देश के दागी सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को सालभर में निपटाने के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह ऐसे फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की खुद निगरानी करेगा।
महात्मा गांधी को मिल सकता है अमरीका का सर्वोच्च नागरिक सम्मान सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को 18 राज्यों के मुख्य सचिवों समेत हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को निर्देश देते हुए कहा, ‘सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी दें और इस बारे में हलफनामा दायर करें।’ फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन पर केंद्र के जवाब से असंतुष्ट जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने राज्यों से हलफनामा दायर कर यह भी बताने को कहा है, विशेष कोर्ट के गठन को लेकर क्या हुआ व ऐसे मामलों के स्थानांतरण को लेकर क्या किया गया? इन मामलों का ब्योरा क्या है?
सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ में जस्टिस नवीन सिन्हा व जस्टिस केएम जोसेफ भी हैं। इस मामले में 12 अक्टूबर को अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘1 दिसंबर, 2017 के स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के आदेश पर पूरी तरह से अमल किया जाए। इसके लिए कोर्ट समय-समय पर रिपोर्ट मांगेगा।’ उल्लेखनीय है कि इस मामले में याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है।
सिर्फ 11 राज्यों ने ही दी थी जानकारी दरअसल, मंगलवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि अभी तक दिल्ली समेत 11 राज्यों से मिले आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल सांसदों और विधायकों के खिलाफ 1233 केस 12 स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर किए गए हैं और 136 केसों का निपटारा किया गया है, जबकि 1097 मामले अदालतों में लंबित हैं।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए बापू के पास था बेहतरीन फॉर्मूला, अब मिलेगा आपको इसका फायदा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र में एक-एक, जबकि दिल्ली में 2 विशेष कोर्ट काम कर रहे हैं। इस वक्त बिहार में सांसदों और विधायकों के खिलाफ सबसे ज्यादा 249 आपराधिक मामले लंबित हैं। इसके बाद केरल में 233 मामले और पश्चिम बंगाल में 226 केस लंबित हैं।