स्वामी ने गुरूवार की सुबह ट्विटर पर लिखा कि विजय माल्या के देश छोड़कर भागने को लेकर हमारे सामने दो तरह के तथ्य आए हैं, जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता।
1- 24 अक्टूबर,2014 को विजय माल्या के खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस को ‘ब्लॉक’ से ‘रिपोर्ट’ में शिफ्ट किया गया। जिसकी सहायता से माल्य 54 लगेज आइटम लेकर फरार हो गया।
2- विजय माल्य संसद भवन के सेंट्रल हॉल में वित्त मंत्री अरूण जेटली को बताया था कि वह लंदन के लिए रवाना हो रहा है।
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चर्चा में आया सुब्रमण्यम स्वामी का पुराना ट्वीट
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने माल्या के बयान के बाद सुब्रमण्यम स्वामी के तीम महीने पुराने ट्वीट को रिट्वीट किया है। सुब्रमण्यम स्वामी ने 12 जून, 2018 की रात एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि माल्या देश नहीं छोड़ सकता क्योंकि एयरपोर्ट पर उसके खिलाफ कड़ा लुक आउट नोटिस जारी हो चुका था। इसके बाद वे दिल्ली आया और उसने किसी ताकतवर शख्स से मुलाकात की जो विदेश जाने से रोकने वाले उस नोटिस को बदल सकता था। वो शख्स कौन था जिसने नोटिस को कमजोर किया।
माल्या के इस बयान से आया राजनीतिक तूफान
दरअसल माल्या ने लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के बाहर पत्रकारों से कहा कि मेरी जेनेवा में एक बैठक प्रस्तावित थी। भारत छोड़ने से पहले मैंने वित्तमंत्री से मुलाकात की थी..बैंकों के साथ मामला निपटाने का अपना प्रस्ताव मैंने दोहराया था। यह सच है।
जेटली ने कहा- मिला तो था लेकिन बात नहीं हुई
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विजय माल्या के दावे को खारिज कर दिया है। जेटली ने कहा कि वह (माल्या) राज्यसभा का सदस्य थे और कभी-कभार संसद आया करते थे। एक बार जब मैं सदन से अपने कक्ष जा रहा था, उन्होंने विशेषाधिकार का फायदा उठाया। मंत्री ने कहा कि वह तेजी से मेरी तरफ आगे बढ़े और एक वाक्य कहा कि ‘मैं सेटलमेंट का ऑफर दे रहा हूं’। जेटली ने कहा कि चूंकि वह उनके पहले के झूठे वादों को जानते थे इसलिए मैंने उन्हें आगे बातचीत करने की इजाजत नहीं दी। उन्होंने कहा कि मैंने उनसे कहा कि मुझसे बातचीत करने का कोई मतलब नहीं है और उसे अपने ऑफर को बैंकों को देना चाहिए। मैंने उनके हाथ में पकड़े पेपर तक को नहीं लिया था। जेटली ने कहा कि इस एक वाक्य की बातचीत के अलावा उन्होंने कभी भी माल्या को मिलने का समय नहीं दिया। जेटली ने कहा कि उन्होंने 2014 के बाद मुलाकात के लिए माल्या को कभी समय नहीं दिया और कि मुझसे मुलाकात का प्रश्न ही नहीं उठता।