सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूणण ने शीर्ष अदालत से कहा कि एनडीए सरकार ने ये विमान खरीदने की प्रक्रिया के तहत कॉन्ट्रैक्ट आमंत्रित करने की प्रक्रिया से बचने के लिए गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट सौदे का रास्ता अपनाया। उन्होंने कहा कि सरकार कीमत बताने के मुद्दे पर गोपनीयता प्रावधान की आड़ ले रही है। उसने रफाल विमानों की कीमत का खुलासा अभी तक नहीं किया है। नई डील के कारण राफेल जेट्स की डिलेवरी में देरी हुई। पिछले चार साल में एक भी विमान नहीं आया। इसके साथ ही उन्होंन कहा कि राफेल डील के नाम पर देश से धोखा हुआ है।
केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह मामला इतना गोपनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया सीलबंद दस्तावेज मैंने भी नहीं देखा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रफाल की कीमत के बारे में याचिकाकर्ताओं को अभी कोई जानकारी न दी जाए। जब तक सुप्रीम कोर्ट इजाजत न दे। तब तक इस पर चर्चा भी नहीं होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम राफेल की कीमतों पर नहीं वायु सेना की जरूरतों पर चर्चा कर रहे हैं। प्रधान न्यायधीश रंजन गगोई ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या कोर्ट में भारतीय वायुसेना का कोई अधिकारी मौजूद है, जो मामले पर उठे सवालों के संदर्भ में जवाब दे सके? हम वायुसेना के मामले के बारे में बातचीत कर रहे हैं, इसलिए हमें उनसे पूछना चाहिए। अब इस मामले में तीन बजे के बाद सुनवाई होगी।
आपको बता दें कि केंद्र ने इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायरकर कहा था कि फ्रांस से 36 लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद में 2013 की रक्षा खरीद प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है। इस सौदे को बेहतर शर्तों के आधार पर फाइनल किया गया। केंद्र ने कहा कि इस सौदे से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी अपनी मंजूरी प्रदान की।