इसलिए लोगों को पसंद नहीं आ रही मोदी सरकार जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को ईमानदार व्यस्था तक आगे ले जाने के लिए डिजिटल होना जारी रखें। रुपे कार्ड का इस्तेमाल करें और डिजिटल लेनदेन करें। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण से सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता सही हाथों में पहुंंचती है। उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में पैसे जरूरतमंदों तक नहीं पहुंंच पा रहे थे, लेकिन उनकी सरकार में पैसे सही हाथों तक पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि 57 हजार करोड़ अब तक गलत हाथों में पहुंच रहे थे। उन्होंने इस पर रोक लगाई है। ऐसे लोगों को वे या उनकी सरकार पसंद नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि उनके लिए देश प्रथम है, वे रहें, या न रहें, लेकिन देश को बर्बाद नहीं होने देंगे।
सबकी निगाह पीएम पर इस जनसभा पर लोगों की निगाह बनी हुई है क्योंकि हाल ही में कई राजनीतिक वजहों से कर्नाटक चर्चा में रहा है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि वे इस पर अपना विचार रखते हुए कांग्रेस राज्य सरकार को घेरने की कोशिश भी कर सकते हैं। दरअसल, कांग्रेस राज्य सरकार द्वारा टीपू सुलतान पर आयोजित एक कार्यक्रम पर विवाद हो गया था। मोदी सरकार में मंत्री हेगड़े ने टीपू को बर्बर हत्यारा और हिन्दू विरोधी करार दिया था जबकि कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने उसे मैसूर को सम्मान दिलाने वाला बताया था। बाद में इसी कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने टीपू सुलतान के प्रति अच्छे शब्दों का इजहार कर मामला शांत कर दिया था।
प्रधानमंत्री ने कर्नाटक की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य की पीढिय़ों को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण का ख्याल रखें और उसका संरक्षण करें। उन्होंने धरती से प्रदूषण कम करने के लिए सबको साथ आने की बात कही। उन्होंने कहा कि सबको धरती मां की तरफ अपने फर्ज को पूरा करना चाहिए।
रुपे कार्ड बांटेंगे PM उनका ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ के तहत रुपे कार्ड बांटने का भी कार्यक्रम है। वह एक ट्रस्ट के कैंपेन ‘Preserve Mother Earth and Transfer to the Next Generation’ की भी शुरुआत करेंगे। इसके माध्यम से धरती को सुरक्षित रखने और स्वच्छता कार्यक्रम को बढ़ावा देने की अपील भी कर सकते हैं।
मिशन-2019 को ध्यान में रखकर होगी बड़ी शुरुआत PM मोदी अपनी इस यात्रा के दौरान 110 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का भी उद्घाटन करेंगे। इस रेलवे लाइन के उदघाटन के बाद नई दिल्ली से बेंगलूरु के बीच की दूरी कम हो जाएगी। दरअसल, इस प्रोजेक्ट की शुरुआत इक्कीस साल पहले 1996 में रखी गई थी। जानकारी के मुताबिक़ फंड की कमी के चलते काम लटका रहा और परियोजना में देरी होती रही। इस देरी के चलते 370 करोड़ के प्रोजेक्ट की लागत बढ़कर 1,542 करोड़ हो गई। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण में इस मुद्दे पर भी चर्चा कर सकते हैं।