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राहुल-सोनिया ने नहीं पूछे एक भी सवाल
आपको बता दें कि रिपोर्ट में बताया गया है कि 16वीं लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने इस कार्यकाल में एक भी सवाल नहीं पूछा। इनके अलावे जिन सांसदों ने सदन में जनता के हितों से जुड़े एक भी सवाल नहीं पूछे उनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और समाजवादी पार्ट के संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी शामिल हैं। आपको बता दें कि संसद के कामकाज पर नजर रखने वाली वेबसाइट parliamentarybusiness.com ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने एक भी सवाल नहीं पूछे। सबसे हैरानी की बात यह है कि अपने पार्टी से इतर अपनी बात रखने वाले और जनता के मुद्दे को आगे रखने का दावा करने वाले नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने भी एक भी सवाल नहीं पूछे। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस लिस्ट में ऐसे 30 सांसद और हैं जिन्होंने 16 वीं लोकसभा में एक भी सवाल नहीं पूछा। जहां तक प्रदर्शन की बात है को पीएम मोदी का प्रदर्शन 62.96 फीसदी, सुषमा स्वराज (88.12 फीसदी) रहा जो कि बहुत अच्छा है जबकि राहुल गांधी (22.62 फीसदी) और मुलायम सिंह यादव (30.82 फीसदी) रहा जो कि बहुत खराब है।
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एनसीपी ने पूछे सबसे अधिक सवाल
बता दें कि रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 16वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा सवाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने पूछे। इसमें एनसीपी की सदस्य सुप्रिया सुले पहले पायदान पर रहीं, जबकि विजय एस मोहिते पाटिल और धनंजय महादिक क्रमशः दूसरे एवं तीसरे स्थान पर रहे। तो कांग्रेस सांसद राजीव साटव चौथे नंबर पर रहे। रिपोर्ट में एक रोचक बात यह सामने आई कि इस बार सबसे ज्यादा कृषि और किसानों की आत्महत्या से संबंधित सवाल पूछे गए।
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16वीं लोकसभा में हुआ सबसे ज्यादा काम
आपको बता दें कि रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 15वीं लोकसभा के मुकाबले इस 16वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा काम हुआ है। इसके अलावा सबसे ज्यादा विधेयक पारित भी हुए हैं। उत्पादकता के लिहाज से रिपोर्ट में बताया गया है कि 16वीं लोकसभा की उत्पादकता 87 फीसदी रही। सबसे ज्यादा काम 2016 के बजट सत्र में हुआ था। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पूरे कार्यकाल में 65 हजार से ज्यादा बार व्यवधान उत्पन्न हुआ जहकि 500 घंटे बर्बाद हुए। 191 बार ऐसा समय आया जब लोकसभा में कोरम पूरा नहीं हो पाने का संकट खड़ा हो गया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि बीते पांच वर्ष में 219 सरकारी विधेयक पेश हुए जिसमें से 93 फीसदी विधेयकों को सदन की मंजूरी मिली।
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