कांग्रेस के पार्टी सूत्रों का कहना है कि आलाकमान चाहता था कि मध्यप्रदेश के सभी दिग्गज नेता कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, अरुण यादव समेत जीतू पटवारी भी लोकसभा चुनाव लड़ें। लेकिन खुद कमलनाथ से लेकर जीतू पटवारी भी इसके लिए राजी नहीं हुए हैं। कमलनाथ को जहां जबलपुर से उम्मीदवार बनाने की कोशिश हो रही थी, वहीं जीतू पटवारी को इंदौर से मैदान में उतारने की रणनीति थी। अरुण यादव ने खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ गुना से मैदान में आने की बात कहकर खंडवा सीट से अपना पल्ला छुड़ा लिया है।
दिग्गज नेताओं की ना—नुकर के बाद पार्टी ने विधायकों और पूर्व विधायकों पर नजर जमाई है। यही वजह है कि पहली सूची में तीन विधायकों के साथ दो पूर्व विधायकों को टिकट थमाया है। वहीं शेष 18 सीटों पर भी युवा विधायकों को मजबूत दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है। जिसमें उज्जैन से तराना विधायक महेश परमार, मुरैना सीट से जौरा विधायक पंकज उपाध्याय, जबलपुर से लखन घनघोरिया, विदिशा से सिलवानी विधायक देवेंद्र पटेल, दमोह सीट से बड़ा मलहरा विधायक रामसिया भारती, शहडोल से पुष्प राजगढ़ विधायक फुंदेलाल मार्को, मंदसौर में विधायक विपिन जैन को उतारा जा सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ गुना से मैदान में उतरने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस यहां पर भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व विधायक वीरेंद्र रघुवंशी को मैदान में उतार सकती है। वहीं, दिग्विजय सिंह के बेटे और कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक जयवर्धन सिंह को भी यहां पर संभावित उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन अंदरखाने की खबर है कि जयवर्धन सिंह गुना के बजाय भोपाल से चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक हैं और पार्टी को अपनी राय भी जाहिर कर चुके हैं।
रीवा सीट पर भाजपा ने जनार्दन मिश्रा को एक बार फिर से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस यहां पर पूर्व विधायक नीलम मिश्रा को उम्मीदवार के तौर पर देख रही है। नीलम मिश्रा सेमरिया से कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा की पत्नी हैं। ऐसे में इन्हें भी प्रभावी उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है। अभय मिश्रा और नीलम मिश्रा पूर्व विधायक रह चुके हैं।