सपना टूटा तो ऐसे बरसे सिद्दारमैया सिद्दारमैया ने कहा, ‘लोगों ने मुझे मूर्ख बना दिया और इतना ही पर्याप्त है। मैंने हार से सबक लिया है। जनता ने तो इंदिरा गांधी, बीआर आंबेडकर और डी देवराजा उर्स जैसे नेताओं को हरा दिया था।’ हालांकि उन्होंने वरुणा सीट से बेटे को मिली जीत के लिए समर्थकों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि वे इस हार से रूकेंगे नहीं और ना ही भागेंगे।’ गौरतलब है कि इस बार सिद्दारमैया के हाथ से मुख्यमंत्री की कुर्सी भी चली गई। कांग्रेस राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी और अपने से छोटी पार्टी को समर्थन दिया। लेकिन मुख्यमंत्री अपना नहीं बना सकी।
लोकसभा चुनाव 2019ः मोदी से मुकाबले के लिए राहुल से पूछा गया सबसे बड़ा सवाल, नहीं दे पाए जवाब दो सीटों से लड़े थे सिद्दारमैया कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2015 में सिद्दारमैया चामुंडेश्वरी के अलावा बादामी सीट से भी लड़े थे। हालांकि बादामी से उन्हें जीत मिली है। इसके अलावा वरुणा सीट से उनके बेटे यतींद्र को जीत मिली है। सिद्दारमैया ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा, ‘मैं 40 सालों से राजनीति में हूं और 13 बजट पेश कर चुका हूं। मैंने हमेशा गरीबों और वंचितों पर ध्यान दिया है। मैंने अन्न भाग्य योजना और चार करोड़ लोगों को मुफ्त चावल उपलब्ध कराने जैसे काम की शुरुआत की। इसके बावजूद लोगों ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया।’