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फीस बढ़कर लाखों रुपयों तक पहुंच जाएगी
दरअसल, इस बार चार वाम एकता के तहत आइसा, डीएसएफ, एसएफआइ और एआइएसएफ छात्र संगठन मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। वाम एकता ने अध्यक्ष पद के लिए आइसा के एन सार्इं बालाजी को चुनावी मैदान में उतारा है। बालाजी के एजेंडे में विद्यार्थियों का हित सर्वोपरी है। बालाजी के अनुसार जेएनयू को जो स्वायत्तता दी गई है, वह एक छात्र विरोधी कदम है और वह उसके लिए संघर्ष करेंगे। उनका कहना है कि इसका असर यह होगा कि फीस बढ़कर लाखों रुपयों तक पहुंच जाएगी। वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने ललित पांडेय को अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी चुना हैै। ललित पांडेय के निशाने पर वाम हैं।
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छात्रों की आम समस्याओं को लेकर उदासीन रवैया
एबीवीपी प्रत्याशी का कहना है कि जो वाम संगठन अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बढ़ चढ़ कर बोलते हैं वो परिसर में छात्रों की आम समस्याओं को लेकर उदासीन रवैया अख्तियार किए रहते हैं। इसलिए उनका चुनावी मुद्दा कुछ और नहीं बल्कि आम विद्यार्थियों को होने वाली समस्याएं हैं। वो अपने एजेंडे में हॉस्टल की फीस में बढ़ोतरी और इंटरनेट की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की मांग उठाएंगे।