शपथ ग्रहण पर लगा था ग्रहण
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने मामले की त्वरित सुनवाई का अनुरोध ठुकरा दिया। इस मामले की सुनवाई सामान्य प्रक्रिया के तहत होगी। हिंदू महासभा ने राज्यपाल वजूभाई वाला की ओर से जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने बुधवार होने वाले शपथ ग्रहण को रोकने की भी मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने मामले की त्वरित सुनवाई का अनुरोध ठुकरा दिया। इस मामले की सुनवाई सामान्य प्रक्रिया के तहत होगी। हिंदू महासभा ने राज्यपाल वजूभाई वाला की ओर से जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने बुधवार होने वाले शपथ ग्रहण को रोकने की भी मांग की थी।
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गठबंधन को बताया अवसरवादयाचिकाकर्ता ने कांग्रेस और जद (एस) के बीच चुनाव बाद हुए गठबंधन को अवसरवाद करार देते हुए कहा है कि यह मतदाताओं के साथ धोखा है। याचिका पर सुनवाई के दौरान वकील विष्णु शंकर जैन न आपत्ति उठाई। उन्होंने कहा कि यह परोक्ष याचिका है। स्वयं को महासचिव बताने वाला याचिकाकर्ता मुन्ना शर्मा हिन्दू महासभा का महासचिव नहीं है। हालांकि न्यायालय ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
क्या है कर्नाटक का वर्तमान सियासी गणित
गौरतलब है कि कर्नाटक चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। 222 सीटों पर चुनाव हुए थे। यहां बहुमत का आंकड़ा 112 सीटों का था। इस चुनाव में बीजेपी 104 सीटों के साथ पहले, कांग्रेस 78 सीटों के साथ दूसरे और जेडीएस 37 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर थी, यानि तीनों ही पार्टियां बहुमत से दूर थीं। ऐसे में कांग्रेस ने चुनावी परिणाम देख जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। वहीं दूसरी ओर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी ने भी बहुमत का दावा किया था। जिसके बाद राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। कांग्रेस-जेडीएस ने इस सरकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। कोर्ट के आदेश पर हुए फ्लोर टेस्ट में बीजेपी बहुमत साबित करने में सफल नहीं हो पाई और बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले बीएस येदियुरप्पा ने महज ढाई दिनों में ही इस्तीफा दे दिया।
गौरतलब है कि कर्नाटक चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। 222 सीटों पर चुनाव हुए थे। यहां बहुमत का आंकड़ा 112 सीटों का था। इस चुनाव में बीजेपी 104 सीटों के साथ पहले, कांग्रेस 78 सीटों के साथ दूसरे और जेडीएस 37 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर थी, यानि तीनों ही पार्टियां बहुमत से दूर थीं। ऐसे में कांग्रेस ने चुनावी परिणाम देख जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। वहीं दूसरी ओर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी ने भी बहुमत का दावा किया था। जिसके बाद राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। कांग्रेस-जेडीएस ने इस सरकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। कोर्ट के आदेश पर हुए फ्लोर टेस्ट में बीजेपी बहुमत साबित करने में सफल नहीं हो पाई और बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले बीएस येदियुरप्पा ने महज ढाई दिनों में ही इस्तीफा दे दिया।