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पांच विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के लिए खुशखबरी, कर्नाटक उपचुनाव में जेडीएस के साथ जीती चार सीट

locationनई दिल्लीPublished: Nov 06, 2018 03:43:00 pm

Submitted by:

Saif Ur Rehman

शनिवार को कर्नाटक उपचुनाव के लिए वोटिंग डाली गईं, उसके मंगलवार को नतीजे आ गए। पांच में से चार पर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन का जादू चल गया।

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नई दिल्ली। इस महीने से पांच राज्यों में चुनाव शुरू होेने वाले हैं। जिसके लिए सभी सियासी दल एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। उससे पहले कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ता नजर आ रहा है, क्योंकि मंगलवार को कर्नाटक उपचुनाव के नतीजे आए हैं। जिसमें कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया। पांच में से चार सीटें कांग्रेस-जेडीएस ने जीतीं। इस जीत के बाद दोनों दलों के समर्थक और नेता काफी खुश नजर आ रहे हैं। वहीं, भाजपा को केवल शिमोगा लोकसभा सीट पर ही कामयाबी मिल पाई। यहां पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा के बेटे राघवेंद्र ने कांटे की टक्कर में जेडीयू के एस. मधुबंगारप्पा को मात दी। ये नतीजे कर्नाटक की राजनीति के लिहाज से बेहद अहम माने जा रहे हैं। पांच विधानसभा चुनावों से पहले इन परिणामा से कांग्रेस के चेहरे पर मुस्कान जरूर बिखेर दी है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि कर्नाटक में संसदीय व विधानसभा उप चुनावों में 4-1 जीत का सबक यह है कि गठबंधन (कांग्रेस व जनता दल सेक्युलर का) लाभदायक साबित हुआ है। सीएम कुमारस्वामी ने भी खुशी जाहिर करते हुए आगे भी गठंधन की बात कही है।
कर्नाटक: उपचुनाव में जीत से गदगद कांग्रेस-जेडीएस, चिदंबरम बोले- गठबंधन लाभदायक साबित हुआ

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कहां पर कौन काबिज?

जहां भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव के जरिये 2019 लोकसभा चुनाव की बिसात बिछाने की राह देख रही है, कांग्रेस समेत अन्य दल इस चुनाव को अपनी अग्नि-परीक्षा के रूप में ले रहे हैं और इसके लिए पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में होने वाले यह विधानसभा चुनाव कई मायनों में बिल्कुल अलग भी हैं।
राजस्थान: इस राज्य में वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री हैं। दिसंबर 2013 में वसुंधरा ने कांग्रेस से अपना ताज छीना था। इस हिसाब से देखें तो राजस्थान में मौजूदा मुख्यमंत्री के सामने दोबारा सत्ता में आने की चुनौती है, तो बीता इतिहास साबित करता है कि कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में आ सकती है।
मध्यप्रदेश: इस राज्य पर भाजपा का कब्जा है। शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं। अब तक वो मध्य प्रदेश में 12 साल 10 माह से ज्यादा वक्त तक लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं जो राज्य में किसी भी सीएम का सर्वाधिक कार्यकाल है। हालांकि इस साल होने वाले चुनाव में क्या जनता उन्हें फिर से सत्ता सौंपती है यह देखना बड़ा सवाल होगा क्योंकि शिवराज के सामने चुनौती अपना नाम बचाने की है।
छत्तीसगढ़: मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की ही तरह रमन सिंह के सामने भी इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती अपनी साख बचाने की है।

मिजोरम: मिजोरमः पूर्वोत्तर में कांग्रेस के आखिरी गढ़ के रूप में मौजूद इस राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव पर सभी की नजर है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि देशभर को कांग्रेसमुक्त करने का सपना देख रही भारतीय जनता पार्टी यहां कब्जा जमाना चाहती हैं। जबकि कांग्रेस और मिजोरम नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) राज्य में सत्ता की बागडोर छोड़ने के मूड में नजर नहीं आते।
तेलंगानाः सन 2014 में देश के 29वें प्रदेश का दर्जा पाने वाले तेलंगाना में इस साल दूसरी विधानसभा का चुनाव होना है। 2 जून 2014 को तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पार्टी के के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने।
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केंद्रीय चुनाव आयोग पांच राज्यों की 679 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान कर चुका है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में एक साथ चुनाव होंगे। 12 नवंबर को पहले चरण का मतदान छत्तीसगढ़ में होगा तो आखिरी चरण 7 दिसंबर को राजस्थान और तेलंगाना में होना है। सभी राज्यों में मतों की गिनती 11 दिसंबर को होगी।

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