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भारत-चीन के बीच युद्ध जैसे हालात, अमरीका-जापान किस देश का देंगे साथ?

locationनई दिल्लीPublished: Aug 18, 2017 02:47:00 pm

Submitted by:

kundan pandey

डोकलाम मुद्दे पर लगभग दो महीने से भारत-चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। भारत को फिर 1962 जैसे सबक सिखाने की भी धमकी दी गई है।

नई दिल्ली। डोकलाम मुद्दे पर लगभग दो महीने से भारत-चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। इस बीच चीन की सरकारी मीडिया की ओर से डोकलाम में पीछे नहीं हटने पर भारत को लगातार युद्ध की धमकियां दी जा रही हैं। भारत को फिर 1962 जैसे सबक सिखाने की भी धमकी दी गई है। भारत ने बेहद संयमित ढंग से चीन को जवाब भी दिया है। एशिया के दो बड़े देशों के बीच सीमा पर तनातनी पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुईं हैं। अगर इस मुद्दे से संबंधित सभी तथ्यों को ध्यान से देखे तो प्रथम दृष्टया भारत की स्थिति कुल मिलाकर 1962 जैसी नजर आ रही है। अच्छा यह है कि इस बार कुछ बेहतर चीजे भारत के पक्ष में हैं। कई देश खुलकर भारत के साथ हैं। माना जा रह है कि अमरीका-जापान जैसी महाशक्तियां भी भारतीय दृष्टिकोण से सहमत हैं और चीन के साथ आपात स्थितियों में मदद करेंगी।
ट्राई जक्शन है डोकलाम
डोकलाम भारत-चीन और भूटान के बीच एक ट्राई जक्शन हैं। सामरिक रूप से भारत और भूटान के लिए ये इलाका बेहद अहम है। यह भूटान का क्षेत्र है जिसे चीन अपना इलाका बता रहा है। जून के मध्य में चीन ने यहां अतिक्रमण कर सडक बनाने की कोशिश की। भूटान की ओर से मदद मांगने पर भारतीय सेना ने चीनी निर्माण को रोक दिया और तभी से इसे लेकर चीन-भारत के बीच गतिरोध है।
1962 में ऐसी ही स्थिति थी
1962 में जिस वक्त भारत और चीन के बीच तनाव शुरू हुआ उस वक्त दुनिया की राजनीति भी करीब-करीब आज जैसी ही थी। इस वक्त उत्तर कोरिया और जापान-अमरीका के बीच तनातनी है। तीनों एक अनिश्चित युद्ध के मुहाने खडे़ हैं। वैसे ही जैसे 1962 में क्यूबा-अमरीका और रूस को लेकर तनातनी का माहौल था, तब चीनी हमले के दौरान भारत के मदद मांगने पर अमरीका आगे आया था। हालांकि जब तक भारत को अमरीकी मदद मिली चीन पीछे हट चुका था। एक रिपोर्ट में विश्लेषकों ने माना है कि क्यूबा में तनाव की वजह से रूस के मिसाइलें तैनात करने के बाद अमरीका चाहकर भी समय पर भारत को मदद नहीं दे पाया। इस रिपोर्ट में इसे एक ‘कम्युनिस्ट रणनीति’ के तौर पर देखा गया है। संभावना यह भी जताई गई कि चीन को अमरीकी प्रतिरोध से बचाने के लिए रूस ने मिसाइलें तैनात कर अमरीका को क्यूबा में ही उलझा दिया।
तो ऐसी स्थिति में नहीं मिल पाएगी अमेरिका-चीन की मदद
माना जा रहा है कि दुनिया की बदली राजनीति में अमरीका और जापान, भारत के पक्ष में जरूर हैं। वो चीन के खिलाफ भारत की मदद भी कर सकते हैं। लेकिन अगर इसी दौरान उत्तर कोरिया ने हमला कर दिया तो अमेरिका और जापान चाहकर भी भारत की मदद नहीं कर पाएंगे। यहां यह बताना जरूरी है कि उत्तर कोरिया और चीन के कूटनीतिक रिश्ते काफी अच्छे हैं। दुनिया के प्रमुख देशों ने उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाया है बावजूद चीन रहस्यमयी देश की मदद करता आया है। हालांकि बैलेस्टिक मिसाइल परीक्षण को लेकर अमरीकी दबाव की वजह से हाल ही में चीन ने भी उत्तर कोरिया पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं।
क्या है जापान का रुख?
जापान के राजदूत केंजी हीरामत्सू ने बताया कि ‘डोकलाम को लेकर पिछले करीब दो महीनों से तनातनी जारी है। हमारा मानना है कि इससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता प्रभावित हो सकता है, ऐसे में हम इस पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा, चीन और भूटान के बीच इस क्षेत्र को लेकर विवाद है, जहां तक भारत की भूमिका की बात है, तो हम मानते हैं कि वह भूटान के साथ अपने द्विपक्षीय समझौते के आधार पर ही इस मामले में दखल दे रहा है।
डोकलाम पर ये है भारत की रणनीति
डोकलाम पर भारत की रणनीति साफ है। भारत चीनी शर्तों पर पीछे हटने के मूड में नहीं है। भारत की कोशिश है कि चीन भूटान के इलाके को खाली कर दे।
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