रक्षा सचिव ने जो पर्रिकर को लिखा
पर्रिकर को लिखे पत्र की बात करें तो उसमें रक्षा सचिव ने लिखा था कि आरएम (रक्षा मंत्री) कृपया इसे देखें। अच्छा हो कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस तरह की बातचीत ना करे क्योंकि इससे सौदा करने के मामले में हमारी स्थिति बहुत कमजोर हो जाती है। रक्षा सचिव ने अपनी टिप्पणी 1 दिसंबर 2015 को लिखी थी। तकरीबन 40 दिनों के बाद 11 जनवरी 2016 को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस अपनी टिप्पणी दर्ज की।
रक्षा सचिव की ओर से लिखे पत्र के बाद रक्षामंत्री पर्रिकर ने लिखा, शिखर बैठक के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और फ़्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय पूरे मामले की प्रगति पर लगातार नजर बनाए हुए है। उन्होंने लिखा कि पैरा 5 में जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। डीआई सेक प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से परामर्श कर समस्या/मामले को हल कर सकते हैं।
मनोहर पर्रिकर की टिप्पणी वाले इस दस्तावेज के बाद कांग्रेस के उन आरोपों को बल मिला है कि रफाल जेट की खरीद से जुड़ी डील में प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे दखल दे रहा था। इन खुलासों के बाद ये मामला संसद में उठाया गया है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि जब प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और एयर चीफ मार्शल इस मुद्दे पर अलग-अलग बात कह रहे हैं तब सच्चाई उजागर करने के लिए सिर्फ जेपीसी का रास्ता बचता है।