संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि ऐसा संसदीय इतिहास में आज तक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस बार ऐसा हुआ है। इससे एक गलत परंपरा की शुरुआत हुई है। लेकिन कोई संसदीय संकट जैसी स्थिति पैदा नहीं होगी क्योंकि यह एक परंपरा है।
लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पीडीटी अचारी ने एनबीटी से कहा कि संविधान में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर वोटिंग कराने को अनिवार्य नहीं किया गया है, लेकिन आर्टिकल 87 में राष्ट्रपति के भाषण पर बहस को अनिवार्य किया गया है। हालांकि राज्यसभा से बजट को पास कराना जरूरी नहीं है। बता दें कि अब तक अभिभाषण पर बहस हर बार हुई है।
आपको बता दें कि आजाद भारत के संसदीय इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस नहीं हुई। इसका परिणाम यह हुआ कि बुधवार को राज्यसभा अभिभाषण को बिना बहस ही पास कर दिया गया। बताया गया है कि अभिभाषण को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच बुधवार तक इस मुद्दे पर सहमित नहीं बन पाई। दूसरी तरफ राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में बहस और वोटिंग हो चुकी है।