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अलगाववादियों जैसे फारूक अब्दुल्ला के बोल- धारा 370, 35 A पर केंद्र करे रूख साफ नहीं तो करेंगे सभी चुनावों का बहिष्कार

locationनई दिल्लीPublished: Sep 08, 2018 02:26:41 pm

Submitted by:

Saif Ur Rehman

अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता की चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

Farooq abdullah

अलगाववादियों जैसे फारूक अब्दुल्ला के बोल- धारा 370, 35 A पर केंद्र करे रूख साफ नहीं तो करेंगे सभी चुनावों का बहिष्कार

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर से हुंकार भरी है। केंद्र पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा है कि जब तक केंद्र धारा 370 और 35 A पर अपना रूख साफ नहीं करती है तो वह सभी चुनावों का बॉयकॉट करेंगे। अलगाववादियों की भाषा बोलते हुए फारूक अब्दुल्ला ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि केंद्र सरकार अगर इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है तो उनकी पार्टी पंचायत चुनाव के साथ ही विधानसभा और लोकसभा चुनावों का भी बहिष्कार करेगी। बता दें कि फारूक अब्दुल्ला की सियासी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस पहले ही 35 A के मुद्दे पर राज्य में आगामी पंचायत चुनाव के बहिष्कार की घोषणा कर चुकी है। उधर, इस मसले पर राजनीति गर्माती जा रही है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भी पंचायत चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी दी है। पीडीपी का कहना है कि केंद्र सरकार धारा 35 ए पर अपनी स्थिति साफ करे तभी वह चुनाव में हिस्सा लेने के बारे में सोचेगी। आप को बता दें कि हाल ही में राष्ट्री सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के लिए अलग संविधान होना एक गलती थी। साथ ही उन्होंने कहा कि संप्रभुता से कभी समझौता नहीं किया जा सकता।
‘ एजेंसियां फैला रही अफवाह ‘

फारूक अब्दुल्लाह ने एजेंसियों पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि एजेंसियां अफवाहें फैला रही हैं कि कश्मीरी पंडित डरे हुए हैं। जिस तरह से जगमोहन ने पहले किया था, वे (एजेंसियां) सोचते थे कि अफवाहें फैलाने से कश्मीरी पंडित चले जाएंगे। इससे देश के बाकी हिस्सों पर फर्क पड़ेगा, उथल-पुथल होगी, हिंदू और मुस्लिम मारे जाएंगे। बता दें कि जगमहोन मल्होत्रा दो बार (साल 1984-89 और जनवरी- मई 1990) जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे, दिल्ली और गोवा के भी राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दीं ।
NSA अजीत डोभाल का बयान: जम्मू कश्मीर के लिए अलग संविधान थी भूल, संप्रभुता से समझौता नहीं

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‘कुछ लोग भारत-पाक के रिश्तों में सुधार नहीं चाहते’

वहीं पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के पाकिस्तान और पाक सेना प्रमुख को गले लगाने पर उठे विवाद पर भी अब्दुल्ला ने टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि, ” मीडिया ने जिस तरह से सिद्धू को हमला बोला, उससे लगता है कि कुछ ऐसे तत्व हैं जो भारत-पाकिस्तान संबंधों को सुधारना नहीं चाहते हैं। भारत और पाकिस्तान में निहित स्वार्थ वाले लोग हैं, जो नहीं चाहते है कि भारत-पाक दोनोंं देशों में शांति हो, साथ ही उन्होंने कहा कि दोनों देशों में शांति नहीं चाहते हैं। लेकिन जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए, भारत-पाकिस्तान में दोस्ती आवश्यक है। आगे उन्होंने कहा, ” जब अटल बिहारी वाजपेयी जैसे आरएसएस नेता प्रधानमंत्री के रूप में पाकिस्तान जा सकते हैं और कहते हैं कि वह भारत के लोगों के नेता हैं, और भारत पाकिस्तान को एक राष्ट्र के रूप में स्वीकार करता है, उनके साथ दोस्ती करना चाहता है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर हम अपने पड़ोसियों के दोस्त हैं, भारत-पाक दोनों ही समृद्ध होंगे। मुझे आशा है कि प्रधानमंत्री (मोदी) इसके बारे में सोचेंगे और इसके लिए काम भी करेंगे।
सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान देने की जरूरत: फारूक

धार्मिक भावनाओं पर बोलते हुए एनसी चीफ ने कहा कि, ” किसी भी मुस्लिम ने कभी भी हिंदू या ईसाई से धार्मिक आस्था के बदलने के तरीके के बारे में कुछ नहीं किया। लेकिन जब वे हमसे हमारी नजाम को अदा करने के तरीके को बदलने और अजान को रोकने को कहता तो वे गांधी के भारत को बदलना चाहते हैं। अगर वे राष्ट्र को बचाना चाहते हैं, तो उन्हें सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान करने की आवश्यकता है।
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एजेंसियों पर अफवाह फैलाने का आरोप

 

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