हम गरीबों को आरक्षण देने के पक्षधर: कांग्रेस रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आर्थिक रूप से गरीब वर्ग के लिए दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था पर कांग्रेस का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी हमेशा गरीबों को आरक्षण देने तथा उनके उत्थान की पक्षधर रही है। कांग्रेस का मानना है कि दलितों, आदिवासियों तथा पिछड़ों के संवैधानिक आरक्षण से कोई छेड़छाड़ ना हो। समाज के सभी गरीबों को शिक्षा और रोजगार का मौका मिले। हम इस तरह के हर फैसले का हमेशा समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह निर्णय लिया है तो उन्होंने सभी कानूनी और संवैधानिक पहलुओं की जांच की होगी।
सवर्ण आरक्षण पर अब संसद में होगी मोदी सरकार की परीक्षा, बढ़ाई गई राज्यसभा की अवधि हार डर से मोदी सरकार ने किया फैसला: कांग्रेस कांग्रेस ने कहा कि चार साल आठ महीने तक गरीबों से बेपरवाह रही मोदी सरकार को चुनाव नजदीक देख और संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन गरीबों की याद आई है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व वाली सरकार की नीयत पर प्रश्न खड़ा करता है। प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार में किसान, गरीब, छोटा दुकानदार, सामान्य कारोबारी और उद्यमी परेशान रहे हैं और सबका काम चौपट हो गया है। इस सरकार ने जो जीएसटी लागू किया उसने दो करोड़ से अधिक गरीबों का रोजगार छीना है और अर्थव्यवस्था को साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है।
‘यूपीए सरकार के फैसले पर मोदी ने किया निर्णय’ सुरजेवाला ने कहा कि हम गरीबों को मौके, आरक्षण तथा रोजगार देने के प्रति कटिबद्ध हैं, पर देश के युवा प्रधानमंत्री से सवाल पूछ रहे हैं कि उन्हें रोजगार कब मिलेंगे। हम सरकार के फैसले का समर्थन तो करते हैं लेकिन वे बताएं कि रोजगार है कहां जो वे देंगे। प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने 2010-11 में आर्थिक तौर से गरीबों के लिए आयोग का गठन किया था, उसकी रिपोर्ट 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था और उस रिपोर्ट के आधार पर मोदी सरकार ने जाते-जाते यह निर्णय लिया है।
आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण देने का ऐलान केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णो को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण को सोमवार को मंजूरी दे दी। खबर है कि मंगलवार को संसद का अंतिम दिन होने के कारण इस सत्र में दोनों सदनों से इस विधेयक पेश तो करेगी लेकिन इसके पारित होने की संभावना न के बराबर है। वो भी तब राज्यसभा में सत्ता पक्ष के पास जरूरी बहुमत नहीं है। संविधान संशोधन विधेयक होने के नाते इसके लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।