गुजरात के बाद झारखंड में गरीब सवर्णों को मिला 10 फीसदी आरक्षण, राज्य सरकार ने की घोषणा
इसके बावजूद यह उपचुनाव सत्तारूढ़ भाजपा से लेकर, प्रमुख विपक्षी दल इनेलो, कांग्रेस और राज्य की राजनीति में सबसे नए खिलाड़ी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) समेत सभी दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण बना हुआ है, क्योंकि संसदीय चुनाव करीब 3-4 महीने ही दूर है और अगले विधानसभा चुनाव अक्टूबर में होंगे। यह सीट इनेलो के विधायक हरिचंद मिधा के निधन के बाद खाली हो गई थी।
वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को मैदान में उतारकर जींद उपचुनाव को रोचक मुकाबला बनाने का श्रेय कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को जाता है। ऐसा करके राहुल गांधी ने केवल हरियाणा की राजनीति को ही नहीं, बल्कि हरियाणा में कई गुटों में बंटी हुई कांग्रेस में तूफान ला दिया है। सुरजेवाला ने जब 10 जनवरी को अपना नामांकन दाखिल किया था, तब पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, विधानसभा में कांग्रेस के नेता किरण चौधरी, कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा और कुलदीप बिश्नोई समेत कांग्रेस के सभी दिग्गज मौजूद थे।
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सुरजेवाला इस विधानसभा सीट से सटे कैथल से कांग्रेस विधायक हैं और हरियाणा में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वह खुद शायद जींद के मुकाबले के लिए खड़े नहीं होना चाहते थे, लेकिन पार्टी अध्यक्ष ने संभवत: उन्हें कोई विकल्प नहीं दिया। इस पर सुरजेवाला ने कहा, ‘इस सीट पर हमारी जीत से आगामी चुनाव के लिए माहौल तैयार होगा।’हालांकि, उनकी पार्टी ने उन्हें जींद उपचुनाव का केंद्र बना दिया है, लेकिन वह भाजपा, इनेलो और जेजेपी की ओर से आलोचनाएं झेल रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, ‘हमने विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़ते देखा है या लोगों को दो लोकसभा सीटों से एकसाथ लड़ते देखा है, लेकिन हमने कभी भी किसी मौजूदा विधायक को किसी और विधानसभा सीट से लड़ते नहीं देखा।’